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राष्ट्रपति को डी. लिट प्रदान करने की राज्यपाल की सिफारिश क्या केरल सरकार ने खारिज कर दी : चेन्नीथला

By भाषा | Updated: December 31, 2021 18:23 IST

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तिरुवनंतपुरम, 31 दिसंबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला ने शुक्रवार को यह जानना चाहा कि क्या राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को केरल विश्वविद्यालय की मानद उपाधि डी.लिट प्रदान करने की सिफारिश की थी और क्या इसे राज्य में वाम नेतृत्व वाली सरकार के निर्देश के अनुसार कुलपति ने खारिज कर दिया था।

कांग्रेस नेता ने यह भी सवाल किया कि क्या यही वह मामला है, जिसके बारे में राज्यपाल ने इशारा किया था कि उनके और सरकार के बीच विवाद है और मुद्दे से देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।

हालांकि, उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि सरकार ने इस संबंध में राज्यपाल की किसी भी सिफारिश को खारिज नहीं किया है। मंत्री ने कोझिकोड में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मानद उपाधि डी. लिट जैसे मामलों में सरकार कभी दखल नहीं देती। ऐसे निर्णय विश्वविद्यालय सिंडिकेट और सीनेट द्वारा लिए जाते हैं। इस संबंध में केरल विश्वविद्यालय से किसी ने मुझसे कोई राय नहीं मांगी है।’’

हाल के विवादों पर खान और सरकार से छह सवाल पूछते हुए चेन्नीथला ने दोनों से इस बारे में लोगों के बीच व्याप्त संदेह को दूर करने के लिए जल्द से जल्द जवाब देने का आग्रह किया। चेन्नीथला ने राज्यपाल से इस संबंध में सभी तथ्यात्मक मामलों को उजागर करने और राज्य के लोगों को अवगत कराने का भी आग्रह किया।

चेन्नीथला ने कहा, ‘‘पता चला है कि राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की हैसियत से देश के राष्ट्रपति को मानद उपाधि डी.लिट देने की सिफारिश की। लेकिन, हमें सूचना मिली है कि कुलपति ने मामले को सरकार के पास भेज दिया।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किस आधार पर उसने राज्यपाल की सिफारिश को खारिज करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि यह राज्य के इतिहास में एक अभूतपूर्व संकट है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि मानद उपाधि डी. लिट प्रदान करना विश्वविद्यालय का विशेषाधिकार है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार विश्वविद्यालयों के स्वायत्त अधिकार में अनुचित हस्तक्षेप कर रही है।

विश्वविद्यालयों के कामकाज में कथित राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर राज्य सरकार के साथ टकराव के बीच खान ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह उच्च शिक्षा मंत्री को कुलाधिपति की शक्तियां हस्तांतरित करने के लिए तैयार हैं, जो विश्वविद्यालयों की प्रो चांसलर भी हैं। खान ने कहा, ‘‘मुझे विश्वविद्यालयों के प्रतीकात्मक प्रमुख होने में कोई दिलचस्पी नहीं है।’’ साथ ही कहा कि उनके लिए इस माहौल में कुलाधिपति के रूप में काम करना संभव नहीं है।

इससे पहले राज्यपाल ने कहा था कि उन्होंने आठ दिसंबर से कुलाधिपति के रूप में कार्य करना बंद कर दिया है और उनके कार्यालय ने केरल उच्च न्यायालय द्वारा कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की पुनर्नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर कुलाधिपति को भेजे गए नोटिस को राज्य सरकार को अग्रसारित कर दिया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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