Coronavirus Lockdown: इलाज, दवाओं, किराने का सामान बुजुर्गों तक पहुंचा मदद कर रहा ‘हैप्पी टू हेल्प’ कार्यबल

By भाषा | Updated: April 25, 2020 21:08 IST2020-04-25T21:08:46+5:302020-04-25T21:08:46+5:30

देशव्यापी लॉकडाउन के बीच राष्ट्रीय महिला आयोग के ‘हैप्पी टू हेल्प’ कार्य बल से सैकड़ों लोगों ने मदद मांगी है। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान अपने बूढ़े माता-पिता, दादा-दादियों और सास-ससुर की कुशलता की चाह में सैकड़ों लोग परेशान हैं, जिसकी वजह से उन्होंने मदद मांगी है।

Happy to help workforce delivering medicines, medicines, groceries to the needy elderly | Coronavirus Lockdown: इलाज, दवाओं, किराने का सामान बुजुर्गों तक पहुंचा मदद कर रहा ‘हैप्पी टू हेल्प’ कार्यबल

सदस्य ने कहा, ‘‘महिला आयोग ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया जो उसकी मां तक पहुंची और उन्हें दवाएं पहुंचाई। (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

Highlights‘हैप्पी टू हेल्प’ कार्य बल पुलिस और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की मदद से करीब 90 बुजुर्ग परिवारों तक पहुंचा हैचिकित्सीय निगरानी की जरूरत है या जिन्हें लॉकडाउन के चलते किराने का सामान या दवा खरीदने में समस्या आ रही है। 

नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान अपने बूढ़े माता-पिता, दादा-दादियों और सास-ससुर की कुशलता की चाह में परेशान सैकड़ों लोगों ने राष्ट्रीय महिला आयोग के ‘हैप्पी टू हेल्प’ कार्य बल से मदद मांगी है। इस कार्यबल का गठन उन बुजुर्गों की खासतौर पर मदद करने के लिए किया गया है जिन्हें चिकित्सीय निगरानी की जरूरत है या जिन्हें लॉकडाउन के चलते किराने का सामान या दवा खरीदने में समस्या आ रही है। 

राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा कि चार अप्रैल को गठित ‘हैप्पी टू हेल्प’ कार्य बल पुलिस और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की मदद से करीब 90 बुजुर्ग परिवारों तक पहुंचा है और उन्हें भोजन, दवा और चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराई है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने कार्य बल द्वारा निपटाए गए कुछ मामलों को साझा भी किया है। पहला मामला कार्य बल को अमेरिका के मिशिगन से मिला था जहां एक बेटा केरल के कोट्टल में रह रही अपनी मां की खत्म होती दवाओं को लेकर चिंतित था। 

आयोग की एक सदस्य ने कहा, ‘‘महिला आयोग ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया जो उसकी मां तक पहुंची और उन्हें दवाएं पहुंचाई। हमने महिला के बेटे के साथ एक तस्वीर भी साझा कि जो लंबे समय बाद अपनी मां की तस्वीर देखकर और दवाएं मिलने की जानकारी पाकर बहुत खुश था।” एक दादी अपने दोस्तों के साथ वक्त बिताने के लिए मुंबई से कर्नाटक के यादगीर पहुंची लेकिन तुरंत बाद बंद लागू हो गया। उनके चिंतित पोते ने कार्य बल से संपर्क किया और उन्हें दवाएं पहुंचाने का आग्रह किया। 

कार्य बल के एक सदस्य ने कहा, “जिस अधिकारी ने दवा पहुंचाई उसने बताया कि दादी उन्हें दवाओं के साथ देखकर हैरान थीं। उन्होंने पूछा कि क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री को पता था कि वह आ रही हैं और उन्होंने दवा भेज दी।” एक अन्य मामले में, एक बेटे ने कार्यबल से त्रिपुरा में न सिर्फ अपनी मां को दवा पहुंचाने का आग्रह किया बल्कि यह पता करने को भी कहा कि वह उनका सेवन कर भी रही हैं या नहीं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस ने न सिर्फ दवा पहुंचाई बल्कि एक वीडियो भी साझा किया जिसमें वह अपना दवा का डिब्बा दिखा रही हैं। 

गुड़गांव में एक बहु अपनी सास की सेहत को लेकर बहुत चिंतित थी जो दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी। वे साल में दो या तीन बार मां को जांच के लिए गुड़गांव लेकर आती थी लेकिन यह लॉकडाउन अचानक हुआ और मां की सेहत बिगड़ गई। बुजुर्ग दंपति मध्य प्रदेश के अंबा में रहता है महिला ने कार्यबल से आपात चिकित्सीय दौरे और जांच का अनुरोध किया। 

कार्य बल की एक सदस्य ने बताया, “मोरेना के कलक्टर के साथ समन्वय कर हम इसे सुलझा पाए। उन्होंने अगले दिन एक वाहन का इंतजाम किया जिसमें मां को ग्वालियर ले जाया गया जो अंबा से 70-75 किलोमीटर दूर है।” इस पहल के बारे में आयोग की प्रमुख ने बताया कि उन्होंने इसकी शुरुआत का फैसला तब लिया जब उन्होंने देखा कि कई लोग रोजाना ट्वीट कर रहे हैं कि वे अपने बुजुर्ग परिजन की कुशलता को लेकर चिंतित हैं।

Web Title: Happy to help workforce delivering medicines, medicines, groceries to the needy elderly

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