नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पहल के तहत व्हाइट हाउस द्वारा लोकतंत्र पर आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत सहित 80 से अधिक देशों के नेताओं ने हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र शिखर सम्मेलन में वर्चुअली रूप से हिस्सा लिया।
शुक्रवार की सुबह उन्होंने इस पर ट्वीट करते हुए लिखा, राष्ट्रपति बाइडेन के निमंत्रण पर लोकतंत्र के शिखर सम्मेलन में भाग लेने पर प्रसन्नता हुई। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत बहुपक्षीय मंचों सहित विश्व स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए अपने भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार है।"
इससे पहले अपने वर्चुअल संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि तकनीकी फर्में लोकतांत्रिक संस्थाओं को बचाने में योगदान कर सकती हैं। तकनीकी में लोकतंत्र के प्रभाव को सकारात्मक या नकारात्मक बनाने की क्षमता है। मोदी ने कहा कि संवेदनशीलता, जवाबदेही, सहभागिता और सुधार भारत की लोकतांत्रिक सरकार के संचालन के चार आधार हैं।
उन्होंने जोर दिया कि लोकतंत्र को वैश्विक शासन प्रणाली का मार्गदर्शन करना चाहिए। साथ ही, भारत के सभ्यतागत लोकाचार को लोकतंत्र के मूल स्रोत में से एक बताया। एक विशेष संकेत के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति बाइडन के संचालन में मुख्य नेताओं के सत्र में आमंत्रित किया गया था।
बाइडेन ने लोकतंत्र पर पहले शिखर सम्मेलन की शुरुआत करते हुए कहा, सार्वभौमिक मानवाधिकारों और दुनिया भर में निरंतर एवं खतरनाक चुनौतियों के मद्देनजर लोकतंत्र के समर्थन की जरूरत है। मैं इस शिखर सम्मेलन की इसलिए मेजबानी करना चाहता था क्योंकि यहां अमेरिका में, हम सभी जानते हैं कि हमारे लोकतंत्र को नवीनीकृत करना और हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के वास्ते निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है।