‘हैप्पी सीडर्स’ वायु प्रदूषण को 78 प्रतिशत कम कर सकता है: शोध

By भाषा | Updated: August 9, 2019 05:21 IST2019-08-09T05:21:18+5:302019-08-09T05:21:18+5:30

उत्तर भारत में किसानों के फसलों के डंठल को खेत में जलाने के चलन से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैलता है।

'Happy seeders' can reduce air pollution by 78 percent: research | ‘हैप्पी सीडर्स’ वायु प्रदूषण को 78 प्रतिशत कम कर सकता है: शोध

‘हैप्पी सीडर्स’ वायु प्रदूषण को 78 प्रतिशत कम कर सकता है: शोध

Highlightsशोधकर्ताओं ने फसल अवशेषों को जलाये जाने के विकल्प के रूप में ‘हैपी सीडर’ मशीन का विकल्प खोजा है जो डंठल को निपटाने के साथ गेहूं की बिजाई भी करती है । एक शोध पत्र के अनुसार हैप्पी सीडर ट्रैक्टर के ऊपर लगायी जाने वाली मशीन है जो धान की डंठल को जड़ से निकाल कर उसे टुकड़ों में काट देती ती है। यह मशीन गेहूं की बुवाई भी करती है।

उत्तर भारत में किसानों के फसलों के डंठल को खेत में जलाने के चलन से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैलता है। शोधकर्ताओं ने फसल अवशेषों को जलाये जाने के विकल्प के रूप में ‘हैपी सीडर’ मशीन का विकल्प खोजा है जो डंठल को निपटाने के साथ गेहूं की बिजाई भी करती है ।    एक शोध पत्र के अनुसार हैप्पी सीडर ट्रैक्टर के ऊपर लगायी जाने वाली मशीन है जो धान की डंठल को जड़ से निकाल कर उसे टुकड़ों में काट देती ती है। यह मशीन गेहूं की बुवाई भी करती है।

'खेतों में आग: भारत में फसल अवशेषों को जलाने का विकल्प' में कहा गया है कि ये मशीनें प्रति एकड़ वायु प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन 78 प्रतिशत से अधिक कम कर सकती हैं। इस परचे को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, वैश्विक संरक्षण निकाय ‘द नेचर कंजर्वेंसी’ और कई अन्य संगठनों के 29 शोधकर्ताओं ने लिखा है। इसमें कहा गया है कि हर साल, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगभग 2.3 करोड़ टन घान फसल का अवशेष जलाया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘दिल्ली-एनसीआर में, सर्दियों के दिनों में लगभग आधा वायु प्रदूषण खेतों में फसल अवशेषों को जलाने के कारण होता है।’’ ‘द नेचर कंज़र्वेंसी’ में प्रमुख अर्थशास्त्री और शोधपत्र के लेखकों में से एक, प्रिया श्यामसुंदर, ने कहा कि हैप्पी सीडर किसानों के लिए एक लाभदायक समाधान है और धान फसल के अवशेषों के प्रबंधन के लिए इस तकनीक का उपयोग करके औसत किसान को प्रति हेक्टेयर 6,000 रुपये से 11,500 रुपये अधिक लाभ मिल सकता है। 

Web Title: 'Happy seeders' can reduce air pollution by 78 percent: research

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