Gurjar aandolan: गुर्जर आंदोलन का तीसरा दिन, रेल पटरियों पर डाला डेरा, महिलाएं शामिल, गांवों से भोजन की व्यवस्था
By धीरेंद्र जैन | Published: November 3, 2020 09:55 PM2020-11-03T21:55:18+5:302020-11-03T22:00:30+5:30
आंदोलनकारियों के लिए आसपास के गांवों से खाना और बिस्तर आदि का इंतजाम हो रहा है। रात को ठंड से बचने के लिए आंदोलनकारी पटरियों पर अलाव जला रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गुर्जरों ने वर्ष 2006 में अनुसूचित जनजाति (एसटी) में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था।
जयपुरः राजस्थान में आन्दोलन के तीसरे दिन भी गुर्जर समाज के लोग कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में भरतपुर जिले के पीलूपुरा में रेलवे ट्रैक पर जमे हैं।
गुर्जर समाज कर महिलाओं ने भी मोर्चा संभाला। आंदोलनकारियों के लिए आसपास के गांवों से खाना और बिस्तर आदि का इंतजाम हो रहा है। रात को ठंड से बचने के लिए आंदोलनकारी पटरियों पर अलाव जला रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गुर्जरों ने वर्ष 2006 में अनुसूचित जनजाति (एसटी) में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था।
तब कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में पहली बार हिंडौन में ट्रेनें रोकी गई थीं। मीणा समुदाय के सख्त विरोध के बाद हालांकि गुर्जर अब एसटी में आरक्षण की मांग छोड़ चुके है। 2007 में पाटोली और वर्ष 2008 में पीलूपुरा में उग्र आंदोलन हुए। तभी से ये समाज विभिन्न मांगों को लेकर आन्दोलन का रास्ता अपना रहा है। गुर्जर आन्दोलन को 14 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।
प्रदेश सरकार ने पहले उन्हें अति पिछड़ा वर्ग की नई कैटेगरी बनाकर 5 प्रतिशत का आरक्षण दिया है। लेकिन तय कोटे के मुताबिक युवाओं को नौकरियां नहीं मिल पा रही हैं। कुछ भर्तियां कोर्ट में अटकी हुई हैं। इसलिए बैकलॉग बढ़ता जा रहा है। अब बैकलॉग की भर्तियां पूरी करने समेत अन्य मांगों को लेकर वे आंदोलन कर रहे हैं।
वहीं, रेलवे ने दूसरे दिन 16 ट्रेनों के रूट बदल दिए। मंगलवार को जनशताब्दी रद्द रहेगी। राजस्थान रोडवेज ने 50 से अधिक बसों का संचालन रोका। वहीं, शहर में पुलिस ने सेवर चैराहा से उच्चैन, बयाना, करौली मेगा हाईवे पर जाने वाले भारी यातायात को बैरीकेड्स लगाकर रोक दिया।
Our demands are not new. We had asked the govt for proof of implementation of our agreement with them. We want to know the source of compensation paid to our widows, whether it's paid from govt funds or some collection & whether it's respect or insult: Gurjar leader Vijay Bainsla https://t.co/YHtmG3cOa8pic.twitter.com/Vx9ndwAck6
— ANI (@ANI) November 3, 2020
गुर्जर समाज में लगभग सर्वमान्य नेता बन चुके कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को अब नेतृत्व को लेकर भी चुनौती मिल रही है। दरअसल, कर्नल बैंसला आंदोलन का नेतृत्व अब अपने बेटे विजय बैंसला को सौंपना चाहते हैं। क्योंकि इन 14 साल में उनके कई विश्वासपात्र साथ छोड़ गए या पाला बदल लिया। वहीं हाल ही नहरा क्षेत्र के 80 समाज के नेताओं बैठक करके हिम्मत सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल बनाकर गहलोत सरकार से जयपुर में वार्ता करके समझौता कर लिया था।