श्रीनगर, 11 दिसंबर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि गुपकर घोषणापत्र गठबंधन – जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग करने वाला छह दलों का गठबंधन- बरकरार है और अपना काम कर रहा है।
नेकां नेता का यह बयान उन अटकलों के बीच आया है कि गठबंधन टूट रहा है।
बारामूला में जब संवाददाताओं ने उनसे पूछा कि क्या गठबंधन अब भी एकजुट है, उन्होंने कहा, “गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) अब भी बरकरार है। 10 दिन पहले ही उनकी बैठक हुई है। वे अपना काम कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ आपको खुश रखने के लिये वे रोजाना मिलते रहेंगे। वे अपने स्तर पर काम कर रहे हैं।”
ऐसी अटकलें लगाई गई हैं कि गठबंधन, जिसमें नेकां, पीडीपी, भाकपा और माकपा शामिल हैं, अपने घटकों के बीच मतभेदों के कारण टूट रहा था।
हाल ही में जम्मू क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अब्दुल्ला ने पीडीपी को तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए दोषी ठहराया था।
इंदरवाल के चातरू में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा ने “हमारी कमजोरियों” का फायदा उठाया।
पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा, “जम्मू और कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद, मैंने मुफ्ती मोहम्मद सईद (पीडीपी संस्थापक) की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। मैंने उन्हें भाजपा के साथ गठबंधन करने के खिलाफ चेतावनी दी और उनसे कहा कि यह कश्मीर के लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा।”
उनकी टिप्पणी के बाद, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपनी पार्टी के नेताओं से कहा था कि वे किसी भी पार्टी के खिलाफ न बोलें जो पीएजीडी का हिस्सा है ताकि गठबंधन को अस्थिर न किया जा सके।
इस बीच, 20 दिसंबर को होने वाली परिसीमन आयोग की बैठक और क्या नेकां के तीन सांसद इसमें भाग लेंगे, इस बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी बैठक की जानकारी नहीं है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मुझे इस बारे में नहीं पता है। मैं इसे पहली बार आपसे सुन रहा हूं। मैं पुष्टि करूंगा कि ऐसा है या नहीं और उसके बाद ही आपसे इस बारे में बात कर सकता हूं।”
इससे पहले बारामूला में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि न तो बंदूक खामोश हुई हैं और न ही अलगाववादी विचारधारा कश्मीर में गायब हो गई, जैसा कि भाजपा ने वादा किया था कि अनुच्छेद 370 को रद्द कर देने से होगा।
उन्होंने कहा, “कहा गया था कि कश्मीर में बंदूक का मूल कारण अनुच्छेद 370 है और जब इसे निरस्त किया जाएगा, तो बंदूकें भी दूर हो जाएंगी। लेकिन, क्या बंदूकें खामोश हो गई हैं? इसे हटाए हुए हुए दो साल, चार महीने और छह दिन हो गए हैं, लेकिन कल ही बांदीपोरा में दो बहादुर पुलिसकर्मियों की जान चली गई। अगर अनुच्छेद 370 बंदूक का मूल कारण था, तो दो पुलिसकर्मियों के घरों में मातम क्यों है?”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे को रद्द करने से लोगों का जीवन किसी भी तरह से बेहतर नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा, “न तो हमारी नौकरियां आईं, न ही विकासपरक गतिविधियां हुईं, या नई बिजली परियोजनाएं बनाई गईं, या स्वास्थ्य या शिक्षा के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाया गया, न तो बंदूकें गईं और न ही अलगाववादी विचारधारा समाप्त हुई। तो ... धारा 370 को रद्द करने का उद्देश्य क्या था?”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें किए गए वादों को तोड़कर और हमें धोखा देकर क्या हासिल किया? हमारे साथ सौतेला रवैया क्यों है? हमारे बच्चों का भविष्य लद्दाख के उन लोगों की तुलना में अलग क्यों देखा जाता है जहां भूमि अधिकार, नौकरी के अधिकार या छात्रवृत्ति हैं उसी तरह हैं जैसे वे (अनुच्छेद) 370 को रद्द किये जाने से पहले थे?”।
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