गुजरात के नये धर्मांतरण विरोधी कानून को उच्च न्यायालय में चुनौती

By भाषा | Updated: July 19, 2021 21:21 IST2021-07-19T21:21:10+5:302021-07-19T21:21:10+5:30

Gujarat's new anti-conversion law challenged in High Court | गुजरात के नये धर्मांतरण विरोधी कानून को उच्च न्यायालय में चुनौती

गुजरात के नये धर्मांतरण विरोधी कानून को उच्च न्यायालय में चुनौती

अहमदाबाद,19 जुलाई गुजरात के एक नए कानून के प्रावधानों को जिनमें विवाह के जरिये जबरन या कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण को दंडित करने की व्यवस्था की गई है, प्रदेश के उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। इस मामले का सोमवार को अदालत की एक खंडपीठ के समक्ष उल्लेख किया गया ।

गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 को प्रदेश में 15 जून को अधिसूचित किया गया था ।

इस मामले को जल्दी सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ के समक्ष उल्लेख किया गया था। अदालत ने इसकी अनुमति देते हुये कहा कि इसके दो या तीन दिन बाद सूचीबद्ध किया जायेगा ।

अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमटीएम हकीम ने इस स्तर पर कोई और जानकारी देने से मना कर दिया । गुजरात सरकार ने बजट सत्र के दौरान गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम विधेयक पारित किया था और राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 22 मई को इस कानून को मंजूरी प्रदान की ।

यह कानून 15 जून से प्रभावी हो गया और तब से अब तक इस कानून के तहत प्रदेश के विभिन्न पुलिस थानों में कई प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।

पुलिस के अनुसार इस कानून के तहत पहली प्राथमिकी वडोदरा के पुलिस थाने में समीर कुरेशी (26) नामक व्यक्ति के खिलाफ की गयी थी जिसने इसाई बन कर 2019 में सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरे धर्म की महिला को कथित रूप से प्रलोभन दिया था ।

इस अधिनियम में विवाह के माध्मय से जबरन और गलत तरीके से धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल की कैद और दो लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

अगर पीड़ित, नाबालिग, महिला, दलित और आदिवासी है तो सजा चार से सात साल तक की हो सकती है और तीन लाख रुपये से कम का जुर्माना नहीं लगाया जायेगा।

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Web Title: Gujarat's new anti-conversion law challenged in High Court

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