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गुजरात: आईआईटी के अध्ययन में साबरमती, दो झीलों में कोरोना वायरस के अंश मिले

By भाषा | Updated: June 18, 2021 19:47 IST

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अहमदाबाद, 18 जून भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर के अनुसंधानकर्ताओं को एक हालिया अध्ययन में गुजरात के अहमदाबाद शहर स्थित साबरमती नदी और दो झीलों के पानी के नमूनों में कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला है।

यूनिसेफ द्वारा वित्तपोषित अध्ययन में इसका खुलासा नहीं किया गया है कि पानी के नमूनों में पाए गए कोरोना वायरस के जीन मृत थे या जीवित। अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर मनीष कुमार ने भविष्य में किसी भी प्रतिकूल स्थिति को रोकने के लिए इस विषय पर आगे की जांच की आवश्यकता पर जोर दिया है।

इस खुलासे के बाद, अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने इन जलाशयों से नमूने गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र (जीबीआरसी) को भेजने का फैसला किया है।

जल संसाधनों के लिए एएमसी के सिटी इंजीनियर हरपालसिंह जाला ने कहा, ‘‘जीबीआरसी जल विश्लेषण के लिए एएमसी की अधिकृत एजेंसी है। हम पिछले एक साल से उन्हें नमूने भेज रहे हैं और वे अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपते हैं। हमें आईआईटी के अध्ययन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, अब हम इन जलाशयों के नमूने इसी तरह के विश्लेषण के लिए जीबीआरसी को भेजेंगे।’’

अध्ययन सितंबर और दिसंबर 2020 के बीच किया गया था और शहर की साबरमती नदी, चंदोला और कांकरिया झीलों से पानी के नमूने एकत्र किए गए थे।

आईआईटी के पृथ्वी विज्ञान विभाग में पढ़ाने वाले कुमार ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य आरएनए अलगाव के माध्यम से सार्स-सीओवी -2 के एन, एस और ओआरएफ लैब जीन की उपस्थिति का पता लगाना था जिसे कोरोना वायरस भी कहा जाता है। हमें साबरमती नदी, चंदोला और कांकरिया झीलों के पानी में एन-जीन मिले। चंदोला में ओआरएफ लैब-जीन नहीं मिला जबकि एस-जीन तीनों जलाशयों में मौजूद था।’’

प्रोफेसर ने कहा, हालांकि कोरोना वायरस के जीन का पता चला है लेकिन हमारी कार्यप्रणाली हमें यह नहीं बताती है कि वे जीवित थे या मृत। हालांकि, हम यह नहीं मान सकते कि वे सभी मर चुके थे। हालांकि पानी के माध्यम से वायरस संचरण अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है, संस्थानों को एक साथ आने और इस पर और शोध करने की जरूरत है। निगरानी की जरूरत है।’’

उन्होंने दावा किया कि अगर कोविड-19 रोगियों के मल-मूत्र के माध्यम से कोरोना वायरस जीन सतह के पानी में पहुंचते तो जीन मर चुके होते। हालांकि, जीन जीवित हो सकते हैं यदि वे किसी कोविड​​​​-19 रोगी के मुंह से आए हों, जैसे कि गरारे करने वाले पानी के माध्यम से।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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