गुजरात उच्च न्यायालय ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामलों में पीएएसए अधिनियम लगाने पर सवाल उठाया

By भाषा | Updated: July 27, 2021 01:00 IST2021-07-27T01:00:58+5:302021-07-27T01:00:58+5:30

Gujarat High Court questions imposition of PASA Act in Remdesivir black marketing cases | गुजरात उच्च न्यायालय ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामलों में पीएएसए अधिनियम लगाने पर सवाल उठाया

गुजरात उच्च न्यायालय ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामलों में पीएएसए अधिनियम लगाने पर सवाल उठाया

अहमदाबाद, 26 जुलाई गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार से कहा कि वह कुछ रेमडेसिविर टीके रखने के मामले में असामाजिक गतिविधियों के खिलाफ सख्त कानून के प्रावधानों का उपयोग करके जनता को भयभीत नहीं करे।

असामाजिक गतिविधियां रोकथाम (पीएएसए) अधिनियम आमतौर पर आदतन अपराधी के खिलाफ उपयोग किया जाता है। अधिनियम के अंतर्गत, आदतन अपराधी को जिलाधिकारी के आदेश पर एक साल तक नजरबंद रखा जा सकता है।

वड़ोदरा के एक डॉक्टर मितेश ठक्कर की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने कहा कि अगर कोविड महामारी की दूसरी लहर से उपजे हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार ऐसे कदम उठाएगी तो जनता कहां जाएगी?

उन्होंने कहा, '' अगर आप एक या दो टीके मिलने पर ऐसा कर रहे हैं तो मुझे 5,000 टीकों के बारे में सवाल पूछना पड़ेगा। अगर एक राजनीतिक दल भलाई के नाम पर दान करना चाहती है तो सभी कुछ कानून के मुताबिक है? और दो टीके रखने वाले एक डॉक्टर पर पीएएसए लगाया गया।''

ठक्कर को रेमडेसिविर टीके की कालाबाजारी के आरोप में पीएएसए अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर हिरासत में लिया गया था।

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Web Title: Gujarat High Court questions imposition of PASA Act in Remdesivir black marketing cases

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