लाइव न्यूज़ :

गुजरात : अस्पतालों में आग की घटनाओं के बारे में जांच आयोग ने रिपोर्ट दाखिल की

By भाषा | Updated: September 28, 2021 20:02 IST

Open in App

गांधीनगर, 28 सितंबर गुजरात के दो अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं की जांच करने वाले आयोग की रिपोर्ट मंगलवार को मानसून सत्र के आखिरी दिन विधानसभा में पेश की गई।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डीए मेहता आयोग की जांच रिपोर्ट में कई खामियों को इंगित किया गया है। 2020 में हुईं इन घटनाओं में 13, कोविड-19 रोगियों की मौत हो गई थी।

राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट के अलावा कार्रवाई रिपोर्ट को भी सदन के पटल पर पेश किया।

एक घटना 6 अगस्त को अहमदाबाद के नवरंगपुरा इलाके के श्रेय अस्पताल में हुई थी, जिसमें आठ कोविड ​​​​-19 मरीजों की मौत हो गई थी। नवंबर में राजकोट के उदय शिवानंद कोविड ​​​​-19 अस्पताल में हुई दूसरी घटना में पांच मरीजों की मौत हुई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रेय अस्पताल में आग "पेशेंट मॉनिटर" में शॉर्ट सर्किट का परिणाम थी, जबकि उदय शिवानंद अस्पताल में आग एक ट्यूब पर "थर्मो सेंसर" में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी जो वेंटिलेटर से रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मॉनिटर लगभग पांच साल तक ही अच्छी तरह काम करता है, लेकिन श्रेय अस्पताल में मॉनिटर 15 वर्षों से अधिक समय से उपयोग में हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 साल से अधिक समय तक किसी चिकित्सा उपकरण का उपयोग करना आपदा को निमंत्रण देना है। इसके अलावा, मरीजों को बचाने के लिए श्रेय अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास नहीं था, और आईसीयू वार्ड के अंदर अग्निशमन उपकरण पर्याप्त संख्या में नहीं थे।

राजकोट अस्पताल में आग लगने के मामले में, आयोग ने कहा कि अस्पताल ने आईसीयू में "धमन" ब्रांड के वेंटिलेटर लगाए थे। आग एक ट्यूब पर रखे "थर्मो सेंसर" में शॉर्ट-सर्किट के कारण लगी, जो एक वेंटिलेटर से मरीज को ऑक्सीजन की आपूर्ति करती है।

आयोग ने दुर्घटना के लिए विशेष रूप से वेंटिलेटर निर्माता को दोषी नहीं ठहराया। अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया कि ये वेंटिलेटर खरीदे नहीं गए थे और केवल "उपयोग करने के उद्देश्य से कंपनी से लाए गए थे।''

आयोग ने कहा, "वेंटिलेटर नहीं खरीदने के कारण अस्पताल का प्रबंधन निर्माता के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं होता, भले ही उसका कोई विशेष टुकड़ा खराब या घटिया गुणवत्ता का पाया गया हो।"

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि आपातकालीन निकास द्वार बंद और अवरुद्ध थे, क्योंकि प्रबंधन ने दरवाजे के पार चिकित्सा उपकरण लगा रखे थे।

इस बीच, राज्य सरकार ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में "सभी नर्सिंग होम के पंजीकरण के लिए कार्य" करने पर सहमति व्यक्त की।

सरकार ने यह भी कहा कि सभी क्लीनिकों और अस्पतालों को एक कानून के तहत लाने वाले क्लिनिकल प्रतिष्ठान अधिनियम को हाल ही में पारित और अधिसूचित किया जा चुका है।

राज्य सरकार ने आयोग की इस सिफारिश को स्वीकार कर लिया कि आपातकालीन निकास के लिए अस्पतालों में दो सीढ़िया होनी चाहिए, और कहा कि वह नए अस्पतालों को फायर एनओसी जारी करते समय इस नियम को लागू करेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटवनडे में सलामी बल्लेबाजों को छोड़कर बल्लेबाजी क्रम को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया जाता, कोच गौतम गंभीर बोले- अलग-अलग भूमिका निभा रहा वॉशिंगटन सुंदर

भारतजब आग लगी तो ‘डांस फ्लोर’ पर मौजूद थे 100 लोग?, प्रत्यक्षदर्शी बोले- हर कोई एक-दूसरे को बचा रहा था और यहां-वहां कूद रहे थे, वीडियो

भारतडांस फ्लोर पर लगी आग..., कुछ ही पलों में पूरा क्लब आग की लपटों में घिरा, गोवा हादसे के चश्मदीद ने बताया

क्राइम अलर्टमां और पत्नी में रोज झगड़ा, तंग आकर 40 साल के बेटे राहुल ने 68 वर्षीय मां मधु की गर्दन रेती और थाने में किया आत्मसमर्पण

भारतगोवा के नाइट क्लब में भीषण आग, 25 लोगों की गई जान; जानें कैसे हुआ हादसा

भारत अधिक खबरें

भारतGoa Club Fire: नाइट क्लब अग्निकांड में मरने वालों की संख्या बढ़कर 25 हुई, 4 पर्यटकों समेत 14 कर्मचारियों की मौत

भारतGoa Fire: गोवा नाइट क्लब आग मामले में पीएम ने सीएम सावंत से की बात, हालातों का लिया जायजा

भारतटीचर से लेकर बैंक तक पूरे देश में निकली 51,665 भर्तियां, 31 दिसंबर से पहले करें अप्लाई

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश