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राजस्थान में कोरोना योद्धाओं की नेक पहल, संक्रमण से मरने वालों के अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया

By भाषा | Updated: May 15, 2020 17:16 IST

जयपुर में ‘कोरोना योद्धाओं’ के एक समूह ने कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया है। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक 125 लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण के 4,548 मामले सामने आ चुके हैं।

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ठळक मुद्देजयपुर में ‘कोरोना योद्धाओं’ के एक समूह ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया है। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक 125 लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण के 4,548 मामले सामने आ चुके हैं।

जयपुर: जयपुर में ‘कोरोना योद्धाओं’ के एक समूह ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया है। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक 125 लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण के 4,548 मामले सामने आ चुके हैं। केवल जयपुर में ही कोरोना वायरस संक्रमण से 63 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। धर्म या जाति का भेदभाव किए बिना लोगों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभा रहे विष्णु गुर्जर ने बताया कि वह सवाईमान सिंह अस्पताल के शवगृह में पोस्टमार्टम का निरीक्षण करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले कभी शवदाह गृह नहीं गया था। मुझे मुस्लिम समुदाय में अंतिम संस्कार करने के रीति-रिवाजों के बारे में कुछ नहीं पता, लेकिन मैं हिंदू हो या मुस्लिम, सभी के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में भाग ले रहा हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिसका कोई नहीं है... उसका भगवान है।’’ 27 वर्षीय गुर्जर ने बताया कि वह और उसकी टीम के अन्य सदस्य पंकज, मनीष, मंगल, अर्जुन और सूरज ने मिलकर शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मरने वाले 36 मुस्लिम लोगों सहित 63 लोगों का अंतिम संस्कार किया है।

उनकी टीम के एक सदस्य पंकज का विवाह भी कोरोना वायरस संकट के चलते टल गया है। राज्य सरकार ने उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था सरकारी एसएमएस अस्पताल के पास एक विश्राम गृह में कर रखी है। ये सभी लोग पृथक-वास में रह रहे हैं। छह माह की एक बच्ची और तीन साल के पुत्र के पिता गुर्जर ने कहा, ‘‘मैं अपने परिजनों से 41 दिन से नहीं मिला हूं। हमें अब सप्ताह में एक बार अपने परिजनों से मुलाकात की स्वीकृति दे दी गई है।’’ विष्णु और उनकी टीम के सदस्य उन्हें सौंपे गए कार्य को पूरी समर्पण भाव से कर रहे हैं, लेकिन उनकी कुछ शिकायतें भी हैं।

उन्होंने बताया, ‘‘जब मैं अपने परिजनों से मिलने अपनी कॉलोनी में जाता हूं तो लोग मुझसे डरते हैं। मुझे वहां लोग सम्मान और आदर नहीं देते। यहां तक कि सरकार जिस तरह से कोरोना योद्धाओं का सत्कार करती है, हमें वह भी नहीं मिलता।

हमें सुविधाओं के नाम पर केवल अच्छा खाना और सुरक्षा के अन्य साधन दिये जा रहे हैं।’’ गुर्जर और उनकी टीम के लोग पिछले सात साल से सवाई मान सिंह चिकित्सालय के शवगृह में काम कर रहे हैं और उनका ठेकेदार उन्हें 230 रूपये प्रतिदिन मजदूरी देता है जबकि नगर निगम की ओर से ठेकेदार को छह घंटे की पाली के लिए अंतिम संस्कार के लिये 500 रूपये का भुगतान किया जाता है। 

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