केंद्र सरकार ने कोविड-19 टेस्टिंग को बढ़ाने के लिए एक बड़ा फैसला किया है। अब आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोई भी रजिस्टर्ड डॉक्टर कोरोना वायरस की टेस्टिंग की अनुमति दे सकते हैं। सरकार ने गुरुवार को यह फैसला कोविड-19 टेस्टिंग को बढ़ाने और सरकारी डॉक्टरों और अस्पतालों से काम का दबाव कम करने के उद्देश्य से उठाया है। अभी तक की व्यवस्था में कोविड-19 के लिए सिर्फ सरकारी डॉक्टर ही अनुमति दे सकते थे।
गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक आदेश जारी करके बताया, 'कोविड-19 की टेस्टिंग अब किसी भी पंजीकृत डॉक्टर के प्रीस्क्रिप्शन पर हो सकती है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि टेस्टिंग की व्यवस्था को बढ़ाया जाए जिससे प्राइवेट डॉक्टर भी आईसीएमआर की गाइडलाइन का पालन करते हुए जांच की अनुमति दे सकें।'
कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार फिलहाल 'टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट' के त्रिस्तरीय प्रणाली पर काम कर रही है। प्राइवेट डॉक्टरों की अनुमति इस दिशा में मददगार साबित होगी। साथ ही सरकार ने सभी राज्यों से अपने कोविड-19 टेस्टिंग क्षमता के पूरा इस्तेमाल के सख्त निर्देश दिए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव द्वारा संयुक्त रूप से लिखे पत्र में कहा गया है कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में खासतौर पर निजी प्रयोगशालाओं में क्षमता से काफी कम जांच हो रही है। पत्र में आह्वान किया गया है कि कोविड-19 जांच प्रयोगशालाओं का पूरी क्षमता से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाए।
स्वास्थ्य मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक आईसीएमआर ने देश के 1,065 प्रयोगशालाओं को कोविड-19 जांच के लिए अधिकृत किया है जिनमें से 768 सरकारी और 297 निजी प्रयोगशालाएं हैं। आईसीएमआर के मुताबिक 30 जून तक देश में 90,56,173 नमूनों की जाच की गई है जिनमें अकेले 2,29,588 नमूनों की जांच पिछले 24 घंटे में की गई है।