सरकार ने 56 ‘सी-295’ सैन्य परिवहन विमानों की खरीद के लिए एयरबस के साथ किया बड़ा सौदा

By भाषा | Updated: September 24, 2021 23:47 IST2021-09-24T23:47:56+5:302021-09-24T23:47:56+5:30

Government signs big deal with Airbus for purchase of 56 'C-295' military transport aircraft | सरकार ने 56 ‘सी-295’ सैन्य परिवहन विमानों की खरीद के लिए एयरबस के साथ किया बड़ा सौदा

सरकार ने 56 ‘सी-295’ सैन्य परिवहन विमानों की खरीद के लिए एयरबस के साथ किया बड़ा सौदा

नयी दिल्ली, 24 सितंबर भारत ने 56 ‘सी-295’ परिवहन विमानों की खरीद के लिए स्पेन की ‘एयरबस डिफेंस एंड स्पेस’ के साथ करीब 21,000 करोड़ रुपये के सौदे पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए। ये विमान भारतीय वायुसेना के एव्रो-748 विमानों का स्थान लेंगे।

अधिकारियों ने बताया कि यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक निजी कंपनी भारत में सैन्य विमान का निर्माण करेगी।

इस सौदे पर हस्ताक्षर के चार साल के भीतर एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ‘उड़ान के लिए तैयार’ 16 विमान सौंपेगी। बाकी 40 विमानों का निर्माण भारत में किया जाएगा। एयरबस डिफेंस एंड स्पेस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) द्वारा अनुबंध पर हस्ताक्षर के 10 वर्षों के भीतर इनका निर्माण किया जाएगा और सभी विमानों की आपूर्ति 2031 तक हो जाएगी।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘विमान छोटी पट्टी से उड़ान भरने में सक्षम है और त्वरित प्रतिक्रिया एवं सैनिकों तथा सामान को पैराशूट से उतारने के लिए इसमें पीछे एक रैंप दरवाजा है। विमान भारतीय वायुसेना की तकनीकी हवाई परिवहन क्षमता को बड़ी मजबूती प्रदान करेगा, विशेषकर उत्तर और उत्तर-पूर्वी सेक्टर तथा अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति द्वारा इस बड़े सौदे को मंजूरी दिए जाने के दो सप्ताह बाद इस पर हस्ताक्षर हुए।

मंत्रालय ने कहा कि सभी विमानों की आपूर्ति 10 साल के भीतर हो जाएगी और भारत में निर्मित विमानों को बाद में सरकार से मंजूरी के बाद दूसरे देशों को निर्यात किया जा सकेगा।

एयरबस के अधिकारियों ने कहा कि पहले विमान की आपूर्ति दो साल के भीतर होने की उम्मीद है।

मंत्रालय ने कहा कि पांच से दस टन की क्षमता वाले विमानों को शामिल किया जाना भारतीय वायुसेना के परिवहन बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

एव्रो विमान को लगभग 60 साल पहले शामिल किया गया था। भारतीय वायुसेना सी 295 का परिचालन करने वाली विश्व की 35वीं इकाई बन जाएगी।

टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने सौदे पर हस्ताक्षर होने पर एयरबस डिफेंस, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और रक्षा मंत्रालय को बधाई दी तथा कहा कि यह भारत में उड्डयन और वैमानिकी परियोजनाओं की शुरुआत करने की दिशा में एक ‘‘बड़ा कदम’’ है।

ट्विटर पर पोस्ट किए एक हस्ताक्षरित बयान में उन्होंने कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार एक घरेलू आपूर्ति श्रृंखला की क्षमता पैदा होगी जो पहले कभी नहीं हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘सी-295 कई भूमिकाएं निभाने वाला विमान है जिसमें मिशन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई विशेषताएं हैं। इसमें भारत में विमान के कुल निर्माण की परिकल्पना की गयी है।’’

टाटा ने कहा, ‘‘टाटा समूह देश के इक्विटी फ्रेमवर्क को मजबूत करने में मेक-इन-इंडिया के सहयोग से भारत में आधुनिक विमान के निर्माण के इस साहसी कदम के लिए एयरबस और भारतीय रक्षा मंत्रालय को बधाई देता है।’’

एयरबस ने कहा कि पहले 16 विमान, अनुबंध लागू होने के चार साल के भीतर मिल जाएंगे और सभी विमान स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस होंगे।

एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइकल शूलहोर्न ने कहा, ‘‘यह अनुबंध आने वाले 10 वर्षों में भारत की वैमानिकी पारिस्थितिकी के विकास को बढ़ावा देगा, निवेश लेकर आएगा और 15,000 कुशल प्रत्यक्ष नौकरियां तथा 10,000 अप्रत्यक्ष पदों का सृजन करेगा।’’

एयरबस ने एक बयान में कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ भारत में उसकी रणनीति का केंद्र है और कंपनी वैश्विक उत्पाद श्रेणी में देश के योगदान को लगातार बढ़ा रही है।

इसने कहा कि सी295 कार्यक्रम के तहत एयरबस टाटा और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख इकाइयों जैसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड समेत अपने औद्योगिक साझेदारों के साथ मिलकर भारत में विश्व स्तरीय विमानों के निर्माण और मरम्मत की सेवा विकसित कर रही है।

एयरबस ने कहा कि छोटी हवाई पट्टियों से उड़ान भरने की क्षमता रखने वाले सी295 का इस्तेमाल 71 सैनिकों या 50 पैराट्रूपर्स को लाने ले जाने में किया जाता है। इस विमान का उपयोग इलाज की आवश्यकता वाले लोगों को ले जाने में भी किया जा सकता है। यह विमान आपदा प्रतिक्रिया और समुद्री गश्त के साथ ही विशेष अभियानों को अंजाम देने में भी सक्षम है।

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुकरण सिंह ने इस अनुबंध को टाटा के लिए गर्व का क्षण बताया और भारतीय सैन्य निर्माण पारिस्थितिकी के लिए ‘‘मील का पत्थर’’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार कोई भारतीय निजी कंपनी भारत में किसी विमान का पूरी तरह निर्माण करेगी। यह प्रयास भारत में वैश्विक प्रतिस्पर्धी जटिल मंचों के निर्माण में रक्षा निर्माता के तौर पर टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की क्षमताओं को दिखाता है।’’

एयर बस इंडिया के अध्यक्ष रेमी मिल्लार्ड ने कहा, ‘‘यह प्रौद्योगिकी साझा करने के बारे में नहीं है, हम पूरा विमान ही भारत में बनाने की बात कर रहे हैं।’’

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इसने एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ एक ‘ऑफसेट’ समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

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