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असम समझौते के कार्यान्वयन के लिए रूपरेखा तैयार करने के वास्ते सरकार ने समिति बनाई

By भाषा | Updated: October 2, 2021 15:23 IST

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गुवाहाटी, दो अक्टूबर असम सरकार ने 36 साल पुराने असम समझौते की सभी धाराओं के कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के वास्ते आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने असम समझौते, विशेष रूप से सांस्कृतिक, सामाजिक और भाषाई पहचान से संबंधित एक केन्द्रीय समिति द्वारा तैयार धारा-छह रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का फैसला किया है।

असम समझौते की धारा छह में कहा गया है कि असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और संरक्षण के लिए संवैधानिक, विधायी तथा प्रशासनिक सुरक्षा उपाय किए जाएंगे।

असम समझौता कार्यान्वयन विभाग के आयुक्त एवं सचिव जी डी त्रिपाठी ने उप-समिति के गठन की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी की, जो अगले तीन महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।

अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘असम के राज्यपाल ने धारा -6 (उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट) पर विशेष जोर देने के साथ असम समझौते की सभी धाराओं के कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा तैयार करने और जांच करने के लिए एक उप-समिति के गठन पर सहमति जताई है।’’

समिति राष्ट्रीय नागरिक पंजी के अद्यतन, बाढ़ और कटाव के मुद्दों, शहीदों और असम आंदोलन के पीड़ितों के परिवारों के पुनर्वास के साथ धारा 7, 9 और 10 के कार्यान्वयन पर भी जोर देगी। इसके अलावा, उप-समिति ऐतिहासिक समझौते के कार्यान्वयन के लिए रिपोर्ट तैयार करते समय राज्य के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं और सर्वांगीण आर्थिक विकास की संभावनाओं पर विचार करेगी।

अधिसूचना में कहा गया है कि असम समझौते के कार्यान्वयन मंत्री अतुल बोरा की अध्यक्षता वाली उप-समिति में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के तीन मंत्री और पांच सदस्य हैं। समिति के अन्य मंत्रियों में संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका और वित्त मंत्री अजंता नियोग हैं, जबकि आसू के अध्यक्ष दीपांका कुमार नाथ, महासचिव शंकर ज्योति बरुआ, मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य, सलाहकार प्रकाश चंद्र दास और उद्दीप ज्योति गोगोई शामिल हैं।

असम सरकार ने छात्र संगठन और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के बीच एक बैठक के बाद सात सितंबर को घोषणा की थी कि वह आसू के सदस्यों के साथ एक नई समिति बनाएगी।

असम समझौते पर 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे। उससे पहले असम में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का पता लगाने के लिए 1979 से 1985 के बीच छह साल आंदोलन हुआ था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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