सरकार ने भूमि उपयोग में बदलाव के लिए वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा
By भाषा | Updated: October 5, 2021 17:48 IST2021-10-05T17:48:45+5:302021-10-05T17:48:45+5:30

सरकार ने भूमि उपयोग में बदलाव के लिए वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा
नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर पर्यावरण मंत्रालय ने वन भूमि पर सीमा संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता को दूर करने के लिए वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है। मंत्रालय ने कहा कि पूर्व मंजूरी की जरूरत से महत्वपूर्ण परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारी सीमाओं को अक्षुण्ण रखने और देश की संप्रभुता को बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों पर बुनियादी ढांचे का विकास महत्वपूर्ण है।’’
उसने कहा, ‘‘वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग के लिए अनुमोदन प्राप्त करने के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, कई बार राष्ट्रीय महत्व की रणनीतिक और सुरक्षा परियोजनाओं में देरी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण स्थानों पर इस तरह के बुनियादी ढांचे के विकास को झटका लगता है।’’
उसने राज्यों को ऐसी रणनीतिक और सुरक्षा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए वन भूमि के गैर-वन उपयोग की अनुमति देने का भी प्रस्ताव दिया, जिन्हें एक निश्चित समय सीमा में पूरा किया जाना है।
मंत्रालय ने 1980 से पहले अधिग्रहीत भूमि को सरकार की पूर्व मंजूरी से छूट देने की भी योजना बनाई है, जब एफसीए पहली बार अस्तित्व में आया था। यह देखते हुए छूट देने की योजना बनाई गयी है कि इसने रेलवे और लोक निर्माण विभाग सहित सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों में नाराजगी पैदा की है।
उसने कहा, ‘‘रेलवे, राजमार्गों आदि के मार्ग के अधिकार को लेकर कानून की उपयोगिता की गुंजाइश की व्याख्या के लिए रेल मंत्रालय, सड़क और परिवहन मंत्रालय में असंतोष है।
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