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सरकार ने कोरोना के आंकड़ों को दुष्प्रचार का माध्यम बनाया: प्रियंका

By भाषा | Updated: June 7, 2021 12:51 IST

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नयी दिल्ली, सात जून कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोमवार को सरकार पर कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े आंकड़े छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन आंकड़ों को लोगों की जान बचाने की बजाय सरकार एवं नेताओं की छवि बचाने के लिए दुष्प्रचार के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने सरकार से प्रश्न करने की अपनी श्रृंखला ‘जिम्मेदार कौन’ के तहत की गई फेसबुक पोस्ट में उत्तर प्रदेश के कई जिलों के श्मशानों और कब्रस्तानों में अंतिम संस्कार से संबंधित संख्या का हवाला देते हुए यह दावा किया कि देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश में आंकड़ों को छिपाया गया है।

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने कहा, ‘‘कोरोना महामारी में लोगों ने सरकार से आंकड़ों की पारदर्शिता की आवश्यकता स्पष्ट की थी। ऐसा इसलिए जरूरी है कि आंकड़ों से ही पता लगता है: बीमारी का फैलाव क्या है, संक्रमण ज्यादा कहां है, किन जगहों को सील करना चाहिए या फिर कहाँ टेस्टिंग बढ़ानी चाहिए। इस पर अमल नहीं हुआ। जिम्मेदार कौन?’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘आज भी टीकाकरण के आंकड़ों की कुल संख्या दी जा रही है आबादी का अनुपात नहीं। और उसमें पहली व दूसरी डोज़ को एक में ही जोड़ कर बताया जा रहा है। ये आंकड़ों की बाज़ीगरी है।’’

प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस से जुड़े तमाम आंकड़ों को केवल सरकारी चैम्बरों में कैद रखा गया एवं वैज्ञानिकों द्वारा पत्र लिखकर इन आकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग के बावजूद भी ये नहीं किया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों ने जांच के आंकड़ों में भारी हेरफेर की। सरकार ने कुल जांच की संख्या में आरटीपीसीआर एवं एंटीजन जांच के आंकड़ों को अलग-अलग करके नहीं बताया। इसके चलते कुल संख्या में तो टेस्ट ज्यादा दिखे लेकिन वायरस का पता लगाने की एंटीजन टेस्ट की सीमित क्षमता के चलते वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या का सही अंदाजा नहीं लग सका।’’

प्रियंका ने सवाल किया, ‘‘वैज्ञानिकों द्वारा बार-बार मांगने के बावजूद कोरोना वायरस के बर्ताव एवं बारीक अध्ययन से जुड़े आंकड़ों को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? केंद्र सरकार आंकड़ों को अपनी छवि बचाने के माध्यम की तरह क्यों प्रस्तुत करती है?’’

उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘क्या इनके नेताओं की छवि, लाखों देशवासियों की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण है? सही आंकड़ें अधिकतम भारतीयों को इस वायरस के प्रभाव से बचा सकते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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