कोविड-19 के चलते ''शेरनी'' फिल्म के अंतिम दृश्य को बदलने का वक्त मिल गया: मसुरकर

By भाषा | Updated: June 24, 2021 16:15 IST2021-06-24T16:15:49+5:302021-06-24T16:15:49+5:30

Got time to change last scene of 'Lioness' film due to Kovid-19: Masurkar | कोविड-19 के चलते ''शेरनी'' फिल्म के अंतिम दृश्य को बदलने का वक्त मिल गया: मसुरकर

कोविड-19 के चलते ''शेरनी'' फिल्म के अंतिम दृश्य को बदलने का वक्त मिल गया: मसुरकर

(राधिका शर्मा)

नयी दिल्ली, 24 जून विद्या बालन अभिनीत ''शेरनी'' के निर्देशक अमित मसुरकर का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते न केवल फिल्म की शूटिंग में देरी हुई बल्कि टीम को फिल्म का अंत अलग तरीके से करने का भी समय मिल गया। एक ऐसा अंत जिसमें दर्शकों को नींद से जागने का संदेश दिया जाए।

मानव-पशुओं के बीच टकराव और समाज में व्याप्त पितृसत्ता पर प्रकाश डालती इस फिल्म में विद्या बालन ने वन अधिकारी विद्या विन्सेंट का किरदार निभाया है, जिसका काम आदमखोर बाघिनों को जिंदा पड़ककर दूसरी जगह भेजना होता है। फिल्म 18 जून को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुकी है।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मों "न्यूटन" और "सुलेमानी कीड़ा" के लिए जाने जाने वाले मसुरकर ने कहा कि यदि मनुष्य अपने तरीके नहीं बदलते हैं तो संभावित भविष्य की एक भयावह तस्वीर के साथ, फिल्म को समाप्त करना लेखक आस्था टीकू का विचार था।

उन्होंने कहा, "इन समस्याओं का कोई आसान समाधान नहीं है। संरक्षण के बारे में बनाई गई किसी फिल्म में, हमें दर्शकों के लिये एक सवाल छोड़ना पड़ता है कि - हम दूसरों के लिए और खुद के लिए क्या कर रहे हैं?''

फिल्मकार ने 'पीटीआई-भाषा' को दिये साक्षात्कार में कहा, ''हमारे पास पहले फिल्म का सुखद अंत था, लेकिन महामारी होने के बाद, आस्था ने सोचा कि फिल्म के अंत में नींद से जागने का संदेश होना चाहिये। हम मुंबई में संग्रहालय के एक टैक्सीडर्मी सेक्शन गए और महसूस किया कि उस दृश्य की शूटिंग के लिये यह सही जगह है। ''

मसुरकर ने कहा कि संरक्षण पर फिल्म बनाने का आइडिया भी टिकू की ओर से आया था।

निर्देशक के अनुसार, यह एक "संयोग" है कि न्यूटन में राजकुमार राव और इस फिल्म में विद्या बालन दोनों ने सरकारी अधिकारी का किरदार निभाया है।

उन्होंने कहा, "इससे मुझे सत्ता की पेचीदगियों और इससे उत्पन्न होने वाली विभिन्न गतिशीलताओं का पता लगाने का मौका मिलता है। पितृसत्ता और लिंगवाद - ये ऐसे विषय हैं जो हर फिल्म में देखे जाते हैं क्योंकि ये उस समाज का हिस्सा हैं जिसमें हम रहते हैं। फिल्म निर्माता इसको कैसे पेश करता है, यह उनकी पसंद होती है।"

मार्च 2020 में कोरोनो वायरस के चलते लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर फिल्म की शूटिंग रुक गई थी। लॉकडाउन हटने के बाद कलाकारों और दल के सदस्यों ने फिल्म के दो तिहाई हिस्से की शूटिंग की।

फिल्म में विजय राज, बृजेन्द्र काला, शरत सक्सेना, नीरज कबी, इला अरुण, मुकुल चड्ढा ने भी अभिनय किया है। फिल्म के निर्देशक ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें इतने शानदार कलाकार मिले।

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