गूगल का दावा: आईटी नियम उसके सर्च इंजन पर लागू नहीं होते

By भाषा | Updated: June 2, 2021 13:50 IST2021-06-02T13:50:37+5:302021-06-02T13:50:37+5:30

Google Claims: IT Rules Don't Apply To Its Search Engines | गूगल का दावा: आईटी नियम उसके सर्च इंजन पर लागू नहीं होते

गूगल का दावा: आईटी नियम उसके सर्च इंजन पर लागू नहीं होते

नयी दिल्ली, दो जून अमेरिकी कंपनी गूगल एलएलसी ने दावा किया कि डिजिटल मीडिया के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के नियम उसके सर्ज इंजन पर लागू नहीं होते और उसने दिल्ली उच्च न्यायालय से बुधवार को अनुरोध किया कि वह एकल न्यायाधीश के उस आदेश को दरकिनार करे, जिसके तहत इंटरनेट से आपत्तिजनक सामग्री हटाने संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी पर भी इन नियमों को लागू किया गया था।

एकल न्यायाधीश की पीठ ने उस मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया था, जिसमें एक महिला की तस्वीरें कुछ बदमाशों ने अश्लील (पॉर्नग्रैफिक) सामग्री दिखाने वाली एक वेबसाइट पर अपलोड कर दी थीं और उन्हें अदालत के आदेशों के बावजूद वर्ल्ड वाइड वेब से पूरी तरह हटाया नहीं जा सका था एवं इन तस्वीरों को अन्य साइट पर फिर से पोस्ट किया गया था।

प्रधान न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, फेसबुक, अश्लील सामग्री दिखाने वाली (पॉर्नग्रैफिक) साइट और उस महिला को नोटिस जारी किए, जिसकी याचिका पर एकल न्यायाधीश ने आदेश जारी किया था। पीठ ने उनसे 25 जुलाई तक गूगल की याचिका पर जवाब देने के निर्देश दिये हैं।

अदालत ने यह भी कहा कि वह इस चरण अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं देगी। इससे पहले गूगल ने पीठ से कहा था कि वह मध्यस्थ है, लेकिन वह सोशल मीडिया मध्यस्थ नहीं है। गूगल ने एकल पीठ द्वारा तय दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने की स्थिति में बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा दिए जाने का अनुरोध किया।

कंपनी ने एकल न्यायाधीश की उस टिप्पणी को भी हटाने का अनुरोध किया, जिसमें कहा गया था कि गूगल एक सोशल मीडिया मध्यस्थ है।

गूगल ने दावा किया कि एकल न्यायाशीश ने 20 अप्रैल के अपने आदेश में नए नियम के अनुसार ‘सोशल मीडिया मध्यस्थ’ या ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ के तौर पर उसके सर्च इंजन का ‘‘गलत चित्रण’’ किया।

उसने याचिका में कहा, ‘‘एकल न्यायाशीश ने याचिकाकर्ता सर्च इंजन पर नए नियम 2021 गलत तरीके से लागू किए और उनकी गलत व्याख्या की। इसके अलावा एकल न्यायाधीश ने आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं और विभिन्न नियमों को समेकित किया है और ऐसे सभी आदेशों एवं प्रावधानों को मिलाकर आदेश पारित किए है, जो कानून में सही नहीं है।’’

एकल पीठ ने 20 अप्रैल को इंटरनेट से आपत्तिजनक सामग्रियों को हटाने से संबंधित मामलों पर विचार करने के दौरान अदालतों द्वारा पालन किये जाने वाले दिशा-निर्देश निर्धारित किए। निर्देशों के अनुसार, जब ऐसा कोई मामला अदालत के सामने आता है और वह संतुष्ट हो जाती है कि अंतरिम चरण में तत्काल निवारण की आवश्यकता है, तो वह जिस वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री है, उसे ऐसी सामग्री तत्काल हटाने और न्यायिक आदेश प्राप्त होने के अधिकतम 24 घंटे के भीतर उन्हें हटाने का निर्देश दे सकती है।

निर्देश में कहा गया है, "जिस वेबसाइट या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री है, उसे उससे संबंधित सभी जानकारी और संबंधित रिकॉर्ड को संरक्षित करने के लिए निर्देश जारी किया जाना चाहिये, ताकि जांच में इस्तेमाल के लिये आपत्तिजनक सामग्री के संबंध में साक्ष्य कम से कम 180 दिन के लिये या उससे अधिक अवधि के लिए प्रभावित नहीं हो।’’

इसमें कहा गया है कि सर्च इंजनों को अपने खोज परिणामों में 'डी-इंडेक्सिंग' और 'डीरेफ्रेंसिंग' द्वारा आपत्तिजनक सामग्री तक पहुंच को रोकने के लिये निर्देश जारी किया जाना चाहिये और उन्हें प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर इन निर्देशों का पालन करना चाहिये।

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Web Title: Google Claims: IT Rules Don't Apply To Its Search Engines

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