गोमती रिवरफ्रंट परियोजना : सीबीआई ने दूसरी प्राथमिकी दर्ज की, 189 अधिकारी, ठेकेदार नामजद

By भाषा | Updated: July 5, 2021 22:57 IST2021-07-05T22:57:16+5:302021-07-05T22:57:16+5:30

Gomti Riverfront Project: CBI registers second FIR, 189 officers, contractors named | गोमती रिवरफ्रंट परियोजना : सीबीआई ने दूसरी प्राथमिकी दर्ज की, 189 अधिकारी, ठेकेदार नामजद

गोमती रिवरफ्रंट परियोजना : सीबीआई ने दूसरी प्राथमिकी दर्ज की, 189 अधिकारी, ठेकेदार नामजद

नयी दिल्ली/लखनऊ, पांच जुलाई केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ में 1,437 करोड़ रुपये की गोमती रिवरफ्रंट परियोजना में कथित अनियमितताओं के संबंध में 16 सरकारी अधिकारियों सहित 189 अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है। उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार के दौरान यह परियोजना क्रियान्वित हुई थी, तब सपा प्रमुख अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले की है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सोमवार को कई राज्यों में करीब 42 जगहों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया, जिनमें उत्तर प्रदेश के 13 जिले, राजस्थान का अलवर और पश्चिम बंगाल का कोलकाता शामिल है।

एजेंसी ने इस सिलसिले में पहले एक पीई (प्रारंभिक जांच) दर्ज की थी, जिसे दो जून को प्राथमिकी में बदल दिया गया और उसमें 16 अधिकारियों, 173 ठेकेदारों और उनके फर्मों को नामजद किया गया और इस मामले में तलाशी अभियान को सही तरीके से चलाने के लिए यह सूचना सोमवार को सार्वजनिक की गई।

यह सीबीआई द्वारा दर्ज किये गए उन मामले में से एक है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों को नामजद किया गया है। इससे पहले मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में 587 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी।

इस परियोजना में अनियमितता के सिलसिले में सीबीआई ने यह दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है। इससे पहले की प्राथमिकी में 1,031 करोड़ रुपये के कार्य आदेशों की जांच चल रही है। दूसरी, (वर्तमान) प्राथमिकी में मुख्य अभियंताओं समेत 16 अधिकारियों और 173 ठेकेदारों को आरोपी बनाया गया है। इसमें सीबीआई ने कहा है कि निविदाएं आमंत्रित करने वाले 30 नोटिस जांच के दायरे में हैं।

प्राथमिकी में कहा गया है कि इनमें से केवल पांच नोटिस ही अखबारों में प्रकाशित हुए तथा सूचना एवं प्रकाशन विभाग को अनुपालना दर्शाने के लिए बाकी के 25 फर्जी पत्र भेजे गए। इसमें एजेंसी ने इस तरह की अनेक अनियमितताओं की जानकारी दी है, जिनमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निविदा देना, निविदा आमंत्रित करने के लिए नोटिस के प्रकाशन में फर्जीवाड़ा करना आदि शामिल है।

इसके मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला है कि एक-एक लाख रुपये से अधिक के 27 कार्य आदेश निविदा निकाले बगैर ही दे दिए गए। यह सरकार के आदेश का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि एक लाख रुपये से अधिक का कोई भी ऑर्डर निविदा के बगैर नहीं दिया जा सकता। फ्रांस से 55.95 लाख यूरो (वर्तमान में करीब 49.3 करोड़ रूपये) से अधिक कीमत पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के म्यूजिकल फाउंटेन आयात करने का मामला भी इसमें शामिल है। इस मामले में कई अधिकारी जांच के घेरे में हैं।

एजेंसी ने कहा कि तत्कालीन अधिशासी अभियंता अखिल रमण ने फाउंटेन के लिए कोटेशन नोटिस जारी किया था और वह वास्तव में प्रकाशित भी हुआ था।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘लेकिन, कोटेशन नोटिस से पहले रमन ने सामान्य निविदा प्रक्रिया का नोटिस दिखाया था। यह नोटिस प्रकाशित नहीं हुआ और फर्जी रसीद, रिलीज ऑर्डर और अखबारों की कतरन रिकॉर्ड में रखी गयी।’’

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 2016 के कोटेशन के आधार पर बजट को मंजूरी दे दी गई। एक अन्य पूर्व अधिशासी अभियंता रुप सिंह यादव ने समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए फ्रांस की कंपनी को सीधे पत्र लिख। उन्होंने कंपनी के लिए आपूर्ति आदेश जारी करने की सिफारिश की।

एजेंसी ने आरोप लगाया है, तत्कालीन मुख्य अभियंता एस. एन. शर्मा ने सामग्री के आयात के लिए 27 अगस्त, 2016 को पूर्वानुमति मांगी और बिना पूर्वानुमति के ही चार दिन बाद आपूर्ति आदेश जारी कर दिया।

एजेंसी का आरोप है, शर्मा, रमण और यादव ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और निविदा के स्थान पर कोटेशन के आधार पर आपूर्ति आदेश (खरीद का आदेश) जारी कर दिये, जिससे एक्वाटिक शो को अनुचित लाभ पहुंचा।

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में सीबीआई अधिकारियों ने इस सिलसिले में ठेकेदार राकेश भाटी के आवास पर छापा मारा। भार्टी कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई का सदस्य भी है।

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने गोमती रिवरफ्रंट में कथित घोटाले के सिलसिले में सोमवार को सीबीआई द्वारा विभिन्न स्थानों पर छापेमारी का जिक्र करते हुए कहा कि यह घोटाला पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार की हरकतों को जाहिर कर रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘गोमती रिवरफ्रंट का घोटाला अखिलेश सरकार की करतूतों को चीख-चीख कर बता रहा है। सीबीआई सात राज्यों और 40 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। सीबीआई अपना काम कर रही है।’’

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी और मायावती की अगुवाई में बहुजन समाज पार्टी के साथ ही कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी से राज्य की सत्ता छीनने की कोशिश करेंगे।

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