सुपर हीरो की तरह विज्ञान की मदद से दुनिया की समस्याएं सुलझाना चाहती हैं गीतांजलि राव

By भाषा | Updated: December 20, 2020 13:05 IST2020-12-20T13:05:50+5:302020-12-20T13:05:50+5:30

Geetanjali Rao wants to solve the world's problems with the help of science like a superhero | सुपर हीरो की तरह विज्ञान की मदद से दुनिया की समस्याएं सुलझाना चाहती हैं गीतांजलि राव

सुपर हीरो की तरह विज्ञान की मदद से दुनिया की समस्याएं सुलझाना चाहती हैं गीतांजलि राव

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर गीतांजलि राव महज 15 साल की हैं लेकिन इतनी सी उम्र में उन्होंने वह उपलब्धि हासिल कर ली है जो उनकी उम्र के दूसरे करोड़ों बच्चों के लिए कल्पना से भी परे है। आज दुनियाभर में चर्चा में बनी हुई इस भारतीय-अमेरिकी बालिका को प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने 'फर्स्ट एवर किड ऑफ द ईयर 2020' चुना है और उन्हें अपने कवर पेज पर जगह देकर सम्मानित किया है।

अमेरिका के कोलोराडो में डेनवर की रहने वाली गीतांजलि सबसे छोटी उम्र की वैज्ञानिक और आविष्कारक हैं जिन्होंने इतनी सी उम्र में एक दो नहीं बल्कि छह आविष्कार अपने नाम कर लिए हैं। इससे पहले उन्होंने अमेरिका का शीर्ष 'यंग साइंटिस्ट अवार्ड' जीता था। वह फोर्ब्स की 2019 की 30 साल से कम उम्र की प्रतिभाशाली हस्तियों में भी अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। पिछले साल जब गीतांजलि टैड टॉक्स के कार्यक्रम 'नई बात' में आई थीं तो बॉलीवुड अभिनेता शाहरूख खान ने उनका परिचय अमेरिका की शीर्ष युवा वैज्ञानिक के रूप में कराया था।

वहीं टाइम पत्रिका के लिए गीतांजलि का साक्षात्कार किसी और ने नहीं बल्कि हॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों में शामिल ऐंजेलिना जॉली ने लिया था।

वह पानी में सीसे (लैड) की विषाक्तता का पता लगाने वाला उपकरण, इंटरनेट पर साइबर बुलिंग को रोकने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस) की मदद से 'काइंडली' नामक ऐप बनाने और साथ ही मरीजों में दर्द निवारक के रूप में अफीम की लत का पता लगाने वाले उपकरण का आविष्कार कर चुकी हैं।

लेकिन ये सब रातों-रात नहीं हुआ है। जब वह महज चार साल की थीं तो उनके एक अंकल ने उन्हें एक केमिस्ट्री किट उपहार में दी थी जिसमें बीकर, टेस्ट ट्यूब और रंग-बिरंगे तरल पदार्थ थे। इन चीजों ने गीतांजलि को इतना मोहित किया कि वे उनकी दुनिया बन गए और वह दिन रात इन्हीं उपकरणों से खेलने लगीं।

तीसरी कक्षा में जब अधिकतर लड़कियां गुड्डे-गुड़ियों से खेलने में मगन रहती हैं, उस उम्र में गीतांजलि राव ने निश्चय कर लिया था कि उन्हें वैज्ञानिक बनना है। बच्चे बहुत कम उम्र में ही खेल और फिल्मों से जुड़ी हस्तियों को अपना हीरो मान लेते हैं लेकिन बहुत नन्हीं सी उम्र में ही गीतांजलि ने वैज्ञानिकों को अपना 'सुपर हीरो' मान लिया था।

उन्होंने ‘टैड टॉक’ में भी कहा था कि हमारे दिमाग में सुपर हीरो की ऐसी छवि होती है कि वह ऊंची ऊंची इमारतों से छलांग लगाता है, उसके पास हाई टैक्नोलॉजी उपकरण और सुपर पावर होती है। उनका लक्ष्य लोगों की जिंदगी बचाना होता है और सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह होती है कि वे उसी क्षण हमारे सामने आ जाते हैं, जब हम मुसीबत में होते हैं।

हमारे वैज्ञानिक फिल्मों और कॉमिक्स के उन सुपरहीरो से कैसे अलग हैं ? इस बारे में गीतांजलि कहती हैं कि सुपर हीरो काल्पनिक होते हैं लेकिन वैज्ञानिक दुनिया के असली सुपर हीरो हैं जो विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रही मानव जाति को समाधान उपलब्ध कराते हैं।

इसीलिए गीताजंलि को विज्ञान से प्यार है और वह एक सुपर हीरो वैज्ञानिक बनकर असली दुनिया की असली समस्याओं को सुलझा कर मानव जाति की भलाई के लिए काम करना चाहती हैं।

पानी में सीसे की विषाक्तता का पता लगाने का विचार उन्हें अपनी भारत यात्रा के दौरान आया था। वह अपने पैतृक गांव में अपने चचेरे भाई के साथ पानी भर कर लाती थीं और उनकी दादी इस पानी को उबाल कर पीने लायक बनाती थीं।

गीतांजलि ने इस पानी को बिना उबाले पीने की कोशिश की तो वह बीमार पड़ गईं। यहीं से उन्हें विचार आया कि पानी में विषाक्त तत्वों का पता कैसे लगाया जा सकता है।

इसी क्रम में उन्होंने अपना 'टैथीज' उपकरण बनाया जिसमें कार्बन नैनोट्यूब्स का इस्तेमाल कर तुरंत पानी में सीसे की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। इस आविष्कार के लिए उन्होंने 2017 में 'डिस्कवरी ऐजुकेशन 3 एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज' पुरस्कार जीता था।

इसी प्रकार एक परिचित के कार हादसे में घायल होने के बाद उन्हें पता चला कि वह कोई दर्द निवारक दवा लंबे समय से ले रहे थे और उसके आदी हो चुके थे। इसी वजह से कार हादसा हुआ था। यहीं से उनके दिमाग में दर्दनिवारक दवाओं की लत को लेकर मानवीय आनुवांशिकी पर अनुसंधान करने का विचार आया।

विज्ञान के अलावा गीतांजलि को पियानो बजाना, भारतीय शास्त्रीय नृत्य करना, तैराकी करना, खेल के रूप में तलवारबाजी करना और रसोईघर में बेकिंग करने का बहुत शौक है। नौ साल की उम्र में ही उन्होंने शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर दिया था।

गीतांजलि की मां भारती राव और पिता राम राव की पृष्ठभूमि अकादमिक है और उन्होंने अपनी बेटी को यहां तक पहुंचने में हर कदम पर समर्थन दिया। गीतांजलि दूसरी या तीसरी कक्षा में थी, जब उन्होंने विज्ञान और तकनीक की मदद से सामाजिक बदलाव लाने की दिशा में सोचना शुरू कर दिया था।

इस समय गीतांजलि पानी में परजीवी जैसे जैव प्रदूषकों का पता लगाने की दिशा में काम कर रही हैं।

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Web Title: Geetanjali Rao wants to solve the world's problems with the help of science like a superhero

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