(निखिल देशमुख)
मुंबई, 12 मार्च महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी को विशेषज्ञ इस साल मध्य जनवरी में ग्राम पंचायत के हुए चुनाव और आम लोगों के साथ नेताओं द्वारा कोविड-19 से जुड़े नियमों के पालन में बरती ढिलाई से जोड़कर देखते हैं।
राज्य में बृहस्पतिवार को संक्रमण के 14,317 मामले आए जो कि 2021 में सबसे ज्यादा मामले हैं और पिछले साल सात अक्टूबर के बाद से यह शीर्ष आंकड़ा है। बृहस्पतिवार रात को संक्रमितों की कुल संख्या 22,66,374 हो गयी।
मुंबई, पुणे और ठाणे ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके समेत विभिन्न शहरों और नगरों में मामले बढ़े हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए राज्य के कई शहरों और जिलों में लॉकडाउन या विभिन्न पाबंदी लगायी गयी है।
महाराष्ट्र में 21 फरवरी को संक्रमितों की संख्या 21 लाख के पार हो गयी। ठीक एक महीने पहले (21 जनवरी को) संक्रमण के 20,00,878 मामले थे।
राज्य में छह मार्च को संक्रमितों की संख्या 22,08,586 हो गयी और पिछले छह दिनों में (बृहस्पतिवार शाम तक) संक्रमण के 57,788 मामले आए।
कोविड-19 प्रबंधन पर महाराष्ट्र सरकार के सलाहकार डॉ. सुभाष सालुंके ने कहा, ‘‘लोगों की सघन जांच होनी चाहिए और संक्रमितों के संपर्क का पता लगाना चाहिए। संक्रमण की रोकथाम के लिए ये दो बुनियादी चीजें हैं। ’’
उन्होंने कहा कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति का जल्द पता लगाया जाए और उसे पृथक-वास में भेजा जाए। जितनी जल्दी से यह काम होगा स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी।
उन्होंने कहा कि मध्य जनवरी में ग्राम पंचायत के दौरान जमावड़ा बढ़ने की वजह से फरवरी में कोविड-19 के मामले बढ़ने लगे।
सालुंके ने कहा, ‘‘जनवरी के तीसरे सप्ताह में 12,000 गांवों के ग्राम पंचायत चुनाव के परिणाम आए थे। इसके बाद जीतने वाले उम्मीदवारों ने अपने-अपने गांव में जमावड़ा किया और इस दौरान मास्क पहनने और सामजिक दूरी बनाए रखने के नियमों का पालन नहीं हुआ।’’
मुंबई के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, ‘‘जनवरी और फरवरी में राजनीतिक दलों ने रैलियां की। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख के तौर पर नाना पटोले की नियुक्त के बाद भी बड़ी रैली की गयी थी।’’
उन्होंने कहा कि पटोले ने मुंबई में बड़ी रैली की थी और वह नागपुर समेत कई स्थानों पर गए थे जहां पार्टी के कार्यकर्ताओं, समर्थकों ने मास्क पहनने और उचित दूरी के नियमों का पालन नहीं किया। इसी तरह तत्कालीन वन मंत्री संजय राठौड़ ने वासिम और यवतमाल जिलों में शक्ति प्रदर्शन किया था। पटोले और राठौड़ इस तरह के जमावड़ा से बच सकते थे लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
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