गांधी की 150वीं जयंतीः बापू ने चंपारण को बदल दिया, जहां मॉल से घिर गई है महात्मा की विरासत, लेकिन लोगों में श्रद्धाभाव भी है

By भाषा | Updated: October 2, 2019 06:35 IST2019-10-02T06:35:14+5:302019-10-02T06:35:14+5:30

पश्चिमी चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया में हजारीमल धर्मशाला को बिहार सरकार ने ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित किया है, जहां गांधी रुके थे। लेकिन इमारत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, आगंतुकों का सामना कचरे के ढेर में मक्खियों के झुंड से होता है।

Gandhi's 150th birth anniversary: ​​Bapu replaces Champaran, where the Mahatma's legacy is surrounded by malls, but people also have reverence. | गांधी की 150वीं जयंतीः बापू ने चंपारण को बदल दिया, जहां मॉल से घिर गई है महात्मा की विरासत, लेकिन लोगों में श्रद्धाभाव भी है

गांधी मोतिहारी में सबसे पहले रुके थे, वह भी जर्जर अवस्था में है। हालांकि दूसरे स्थान भी हैं, जहां गांधी की विरासत को संजोने का प्रयास किया गया है।

Highlightsविशाल शॉपिंग मॉल और दूसरी वाणिज्यिक इमारतों के आगे ये इमारत बौनी हो गई है।भवन के आसपास गंदगी ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को चुनौती दे रही है, जो गांधी द्वारा सफाई पर दिए गए जोर से प्रेरित है।

खेत और गांव की पगडंडियां और शहरी बसावट, जिन्होंने महात्मा गांधी के नाम के साथ विख्यात चंपारण सत्याग्रह को जन्म दिया, वहां भारत की आजादी को आकार देने वाले व्यक्ति के प्रति श्रद्धाभाव तो है लेकिन साथ ही उनकी विरासत को नजरअंदाज किए जाने का दुख भी है।

पश्चिमी चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया में हजारीमल धर्मशाला को बिहार सरकार ने ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित किया है, जहां गांधी रुके थे। लेकिन इमारत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, आगंतुकों का सामना कचरे के ढेर में मक्खियों के झुंड से होता है।

विशाल शॉपिंग मॉल और दूसरी वाणिज्यिक इमारतों के आगे ये इमारत बौनी हो गई है, इसकी फोटो राज्य पर्यटन विकास निगम के गांधी परिपथ पेज पर छपी है। भवन के आसपास गंदगी ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को चुनौती दे रही है, जो गांधी द्वारा सफाई पर दिए गए जोर से प्रेरित है।

अधिवक्ता गोरख प्रसाद का घर करीब 45 किलोमीटर दूर है, जहां गांधी मोतिहारी में सबसे पहले रुके थे, वह भी जर्जर अवस्था में है। हालांकि दूसरे स्थान भी हैं, जहां गांधी की विरासत को संजोने का प्रयास किया गया है। महात्मा गांधी ने अपनी ब्रिटिश शिष्य मेडेलीन स्लेड उर्फ मीराबेन को लिखे एक पत्र में चंपारण को वह जगह बताया, जिसने उन्हें भारत से परिचित कराया।

वह दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के तीन साल बाद 1917 में भारतीय किसानों की दुर्दशा के बारे में सुनकर यहां आए थे। महात्मा की यात्रा से भारत का पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन चंपारण सत्याग्रह शुरू हो गया। आज जब देश उस व्यक्ति की 150वीं जयंती मनाने जा रहा है, जिसने अपनी अहिंसा की नीति और जीवन सिद्धान्तों से पीढ़ियों को प्रभावित किया, सरकारी और लोगों की बेरुखी और तेजी से बढ़ते शहरीकरण के चलते कई स्थानों पर ऐतिहासिक विरासत संकट में है।

मोतिहारी में गांधी संग्रहालय के सचिव ब्रजकिशोर सिंह ने बताया, “महात्मा गांधी ने चंपारण को बदल दिया, जिसे (चंपारण) उस स्थान के रूप में गर्व है, जहां एक तरह से, अद्वितीय महानता प्राप्त करने की उनकी (गांधी) यात्रा शुरू हुई।” गांधी संग्रहालय मोतिहारी के उन कई स्थानों में एक है, जिनका नाम महात्मा के नाम रखा गया है। यहां एक बेहद साफ-सुथरा और सुंदर बापूधाम रेलवे स्टेशन है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल किया था।

सिंह ने बताया, “इस जगह से बापू के जुड़ाव की वजह से ही खान अब्दुल गफ्फार खान - जिन्हें प्यार से सीमांत गांधी कहा जाता है - ने उत्तरी बिहार के इस दूरदराज के जिले की यात्रा की। कई साल बाद सुभाष चंद्र बोस ने भी यहां रमना मैदान में एक बड़ी रैली को संबोधित किया।”

सिंह की उम्र 90 साल है और वह राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी का चंपारण से जुड़ाव किसानों के लिए सत्याग्रह के साथ खत्म नहीं हुआ, बल्कि उन्होंने कई आश्रम और विद्यालय स्थापित किए। उन्होंने बताया, “जब 1934 में उत्तरी बिहार विनाशकारी भूकंप से तबाह हो गया, तब वह अपने समर्थकों की सेना के साथ यहां वापस आए, जिनमें सर्वाधिक उल्लेखनीय पंडित जवाहरलाल नेहरू थे।” 

Web Title: Gandhi's 150th birth anniversary: ​​Bapu replaces Champaran, where the Mahatma's legacy is surrounded by malls, but people also have reverence.

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