गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी एच एस दोरैस्वामी नहीं रहे

By भाषा | Updated: May 26, 2021 16:54 IST2021-05-26T16:54:57+5:302021-05-26T16:54:57+5:30

Gandhian freedom fighter HS Doraswamy ceased | गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी एच एस दोरैस्वामी नहीं रहे

गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी एच एस दोरैस्वामी नहीं रहे

बेंगलुरु, 26 मई गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी एच एस दोरैस्वामी का बुधवार को यहां एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उनके करीबी श्रीमाने नागराज ने पीटीआई -भाषा से कहा, ‘‘ जयदेव अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने पर अपराह्न एक बजकर 40 मिनट पर उनका देहावसान हाो गया।’’

उनके अनुसार दोरैस्वामी (103) आठ मई को कोविड-19 से संक्रमित हुए थे और उन्हें जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्कुलर डिजीज में भर्ती कराया गया था। उन्हें 13 मई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी।

नागराज ने कहा, ‘‘ लेकिन 14 मई को ही दोरैस्वामी ने बहुत कमजोरी की शिकायत की। और उन्हें फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह अंतिम सांस लेने तक इसी अस्पताल में थे।’’

उन्होंने बताया कि गांधीवादी नेता को अस्थमा था और उनका फेफड़े से संबंधित बीमारी का उपचार चल रहा था। दोरैस्वामी के परिवार में एक बेटा और एक बेटी हैं।

दस अप्रैल सन् 1918 को जन्मे होरोहल्ली श्रीनिवासैया दोरैस्वामी ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था और वह 1943 और 1944 के बीच 14 महीने तक जेल में रहे।

इन गांधीवादी नेता ने आजादी के बाद तत्कालीन मैसूरू महाराज पर अपनी रियासत का विलय करने के वास्ते दबाव डालने के लिए ‘मैसूरू चलो’ आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।

बेंगलुरु के सेंट्रल कॉलेज से विज्ञान स्नातक दोरैस्वामी अध्यापन के पेशे में थे और वह ‘पौरावनी’ नामक एक अखबार भी निकालते थे।

आपातकाल के दौरान वह चार महीने तक जेल में रहे। उससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरूद्ध आंदोलन शुरू करने की धमकी देते हुए उन्हें पत्र लिखा था।

उम्र उनके जज्बे को नहीं डिगा सकी और वह अंत तक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता रहे। उन्होंने कोविड-19 महामारी फैलने से पहले तक कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था।

इन स्वतंत्रता सेनानी ने कर्नाटक में खनन माफिया के विरूद्ध तब तक संघर्ष किया जब तक उनका वर्चस्व खत्म नहीं हो गया। उन्होंने अवैध रूप से सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों के हाथों से उसे (जमीन को) मुक्त कराने के लिए भी संघर्ष किया था।

दोरैस्वामी यहां इंडिया एगेंस्ट करप्शन आंदोलन में अग्रणी भूमिका में थे। दिल्ली में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने दोरैस्वामी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा , ‘‘ शतवर्षीय एच एस दोरैस्वामी बहुआयामी व्यक्तित्व थे जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर हाल तक जनोन्मुखी आंदोलनों तक पूरा जीवन जीया।’’

उन्होंने आजादी के बाद कर्नाटक के एकीकरण (विलय) में उनके योगदान को याद किया।

दोरैस्वामी के देहावसान पर दुख प्रकट करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने कहा कि वह उन्हें बेंगलुरु -मैसूर इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के विरूद्ध उनके आंदोलन के वक्त से ही जानते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धरमैया ने ट्वीट किया, ‘‘वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी एवं शतवर्षीय श्री एच एस दोरैस्वामी के निधन की खबर पाकर बड़ा झटका लगा। वह मेरे परिवार के सदस्य की तरह थे और उनके निधन ने मुझे परेशान कर दिया है। उनके परिवार के सदस्यों एवं शुभेच्छुओं को मेरी संवेदना। ’’

पूर्व मुख्यंमत्री एवं जद एस नेता एच डी कुमारस्वामी ने ट्वीट किया, ‘‘ शतवर्षीय और स्वतंत्रता सेनानी दोरैस्वामी के निधन से मुझे बड़ा दुख हुआ।

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