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बीच समुद्र में एक जहाज से दूसरे जहाज में एलएनजी हस्तांतरण किया गया, गेल ने दुनिया में पहली बार ऐसा कर के दिखाया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 13, 2023 20:29 IST

बीच समुद्र में एक जहाज से दूसरे जहाज में एलएनजी हस्तांतरण दुनिया में पहली बार किया गया है। एक बड़े पारंपरिक एलएनजी जहाज और क्यू-फ्लेक्स एलएनजी जहाज के बीच दुनिया में पहली बार एलएनजी का हस्तांतरण हुआ। देश की सबसे बड़ी गैस कंपनी गेल ने कर के दिखाया।

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ठळक मुद्देएक जहाज से दूसरे जहाज में एलएनजी हस्तांतरणबीच समुद्र में एलएनजी हस्तांतरण दुनिया में पहली बार किया गयादेश की सबसे बड़ी गैस कंपनी गेल ने कर के दिखाया

नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी गैस कंपनी गेल ने पोत परिवहन लागत और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए जहाज से दूसरे जहाज में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का हस्तांतरण किया है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कारोबार को बढ़ावा देने के लिये अनूठे कदम उठा रही है और यह उसी का हिस्सा है। कंपनी के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

गेल ने अमेरिका से 58 लाख टन सालाना एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) के ऑर्डर को लेकर अनुबंध किया है। कंपनी इस मात्रा को एलएनजी जहाजों के माध्यम से भारत लाती है। जहाज आमतौर पर अमेरिका के सबाइन दर्रे से स्वेज नहर और जिब्राल्टर के रास्ते भारत तक एलएनजी परिवहन करने के लिये आने-जाने को मिलाकर लगभग 19,554 समुद्री मील की दूरी तय करता है। इस यात्रा में लगभग 54 दिन लगते हैं और लगभग 15,600 टन कार्बन का उत्सर्जन होता है। 

उत्सर्जन को आमतौर पर नवीनतम तकनीक का उपयोग करके या कार्गो के गंतव्य को बदलकर नियंत्रित किया जाता है। गेल ने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए अनूठा कदम उठाया है। इस व्यवस्था के तहत दोनों पक्षों के समुद्री मार्ग के अनुकूल रास्ते को अपनाया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने हाल ही में किराये पर लिये गये जहाज कैस्टिलो डी सैन्टिस्टेबन ने अमेरिका से एलएनजी का एक जहाज ‘लोड’ किया। लेकिन बीच रास्ते में, इसने कार्गो को कतर गैस के एक अन्य चार्टर्ड जहाज अल घर्राफा में हस्तांतरित कर दिया।

बीच समुद्र में एक जहाज से दूसरे जहाज में एलएनजी हस्तांतरण दुनिया में पहली बार किया गया है। एक अधिकारी ने कहा, "यह एक बड़े पारंपरिक एलएनजी जहाज और क्यू-फ्लेक्स एलएनजी जहाज के बीच दुनिया में पहली बार एलएनजी का हस्तांतरण हुआ है।" कतरगैस जहाज कार्गो को उतारने के लिये गुजरात के दाहेज के लिए रवाना हुआ। इसे मूल रूप से गेल के जहाज के जरिये उतारने की योजना थी। इसका जहाज जिब्राल्टर से अगले लदान बंदरगाह पर लौट आया। 

अधिकारियों ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप लगभग 8,736 समुद्री मील दूरी कम हुई है। यह 7,000 टन कार्बन उत्सर्जन के बराबर है। इसके अलावा, इसके परिणामस्वरूप गेल के चार्टर्ड जहाज के लिए जहाज की यात्रा 54 दिन से घटकर लगभग 27 दिन रह गई। एक अधिकारी ने कहा, "इस कदम से गेल को 10 लाख डॉलर से अधिक का लाभ हुआ है।"

टॅग्स :GAILअमेरिकाक्रूड ऑयलCrude oil
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