फ्रांसीसी पत्रिका ने राफेल करार में रिश्वत दिए जाने के नए दावे किए

By भाषा | Updated: November 8, 2021 18:31 IST2021-11-08T18:31:58+5:302021-11-08T18:31:58+5:30

French magazine makes new claims of bribery in Rafale deal | फ्रांसीसी पत्रिका ने राफेल करार में रिश्वत दिए जाने के नए दावे किए

फ्रांसीसी पत्रिका ने राफेल करार में रिश्वत दिए जाने के नए दावे किए

नयी दिल्ली, आठ नवंबर फ्रांसीसी खोजी पत्रिका मीडियापार्ट ने नए दावे किए हैं कि कथित तौर पर फर्जी बिलों का इस्तेमाल किया गया था, जिसने फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन को भारत के साथ राफेल सौदे को अंतिम रूप देने में मदद करने के लिए एक बिचौलिए को कम से कम 75 लाख यूरो का गुप्त कमीशन देने में सक्षम बनाया।

पत्रिका ने जुलाई में खबर दी थी कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के अंतर-सरकारी सौदे में संदिग्ध भ्रष्टाचार और पक्षपात की "अत्यधिक संवेदनशील" न्यायिक जांच का नेतृत्व करने के लिए एक फ्रांसीसी न्यायाधीश को नियुक्त किया गया है।

रक्षा मंत्रालय या दसॉल्ट एविएशन की ओर से इस ताजा रिपोर्ट पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

पत्रिका ने अपनी नयी रिपोर्ट में रविवार को कहा, "मीडियापार्ट आज कथित फर्जी बिल प्रकाशित कर रही है, जिससे फ्रांसीसी विमान निर्माता दसॉल्ट एविएशन भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री को अंतिम रूप देने में मदद करने के लिए एक बिचौलिए को कम से कम 75 लाख यूरो के गुप्त कमीशन का भुगतान करने में सक्षम हो सकी।’’

पत्रिका ने आरोप लगाया कि "ऐसे दस्तावेजों" के होने के बावजूद भारतीय जांच एजेंसियों ने मामले में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है, ‘‘इसमें अपतटीय कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और "फर्जी" बिल शामिल हैं। मीडियापार्ट यह खुलासा कर सकती है कि भारत के संघीय पुलिस बल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के पास अक्टूबर 2018 से इस बात के सबूत थे कि फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसॉल्ट ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को गुप्त कमीशन में कम से कम 75 लाख यूरो (करीब 65 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था...।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 2016 में 7.8 अरब यूरो के सौदे को हासिल करने के लिए फ्रांसीसी कंपनी के लंबे और अंततः सफल प्रयास से संबंधित था ताकि उसके 36 राफेल लड़ाकू विमान भारत को बेचे जा सकें।

राफेल निर्माता दसॉल्ट एविएशन और भारत के रक्षा मंत्रालय ने इससे पहले करार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया था। उच्चतम न्यायालय ने 2019 में इस सौदे की जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसके लिए कोई आधार नहीं है।

राफेल सौदे को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही है। उसने सरकार पर सौदे में भारी अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार प्रत्येक विमान को 1,670 करोड़ रुपये से अधिक कीमत पर खरीद रही है, जबकि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल उठाए थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

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Web Title: French magazine makes new claims of bribery in Rafale deal

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