व्यक्ति की स्वतंत्रता अहम, ज़मानत अर्ज़ी पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए: शीर्ष अदालत

By भाषा | Updated: October 12, 2021 13:53 IST2021-10-12T13:53:02+5:302021-10-12T13:53:02+5:30

Freedom of the individual important, bail application should be heard soon: Supreme Court | व्यक्ति की स्वतंत्रता अहम, ज़मानत अर्ज़ी पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए: शीर्ष अदालत

व्यक्ति की स्वतंत्रता अहम, ज़मानत अर्ज़ी पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए: शीर्ष अदालत

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि व्यक्ति की स्वतंत्रता ‘अहम’ है और ज़मानत की अर्ज़ी पर जितनी जल्दी मुमकिन हो सुनवाई की जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी पूर्व और गिरफ्तारी के बाद ज़मानत के लिए दायर होने वाले आवेदन के लिए कोई सीमा तय नहीं की जा सकती है लेकिन कम से कम यह आशा की जा सकती है कि ऐसी अर्ज़ियों पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ पंजाब के पटियाला जिले में दर्ज एक मामले के सिलसिले में इस साल मार्च में हिरासत में लिए गए एक आरोपी की याचिका का निबटारा करते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि ज़मानत के लिए दायर उसका आवेदन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, जिस पर शीघ्र सुनवाई की जाए।

पीठ ने उच्च न्यायालय ने अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता की जमानत की अर्जी पर यथासंभव जल्दी विचार किया जाये।

पीठ ने कहा कि सत्र अदालत ने उसकी ज़मानत अर्ज़ी खारिज कर दी थी। इसके बाद उसने सात जुलाई को ज़मानत के लिए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।

याची के वकील ने पीठ से कहा कि मामले को अदालत में कई बार सूचीबद्ध किया गया लेकिन इस पर सुनवाई नहीं हो सकी।

शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते पारित अपने आदेश में कहा, “ हम इस समय मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन व्यक्ति की स्वतंत्रता अहम है और हम उम्मीद करते हैं कि अगर सीआरपीसी की धार 438/439 के तहत आवेदन दायर किया गया है, चाहे गिरफ्तार से पहले या गिरफ्तारी के बाद में, तो इस पर जितना जल्दी संभव हो, सुनवाई होनी चाहिए।”

आपराधिक दंड संहिता प्रक्रिया (सीआरपीसी) की धारा 438 का इस्तेमाल गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति को ज़मानत देने के लिए किया जाता है जबकि सीआरपीसी की धारा 439 ज़मानत के संबंध में उच्च न्यायालय या सत्र अदालत की विशेष शक्तियों से संबंधित है।

याचिकाकर्ता को इस साल 30 मार्च को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दर्ज मामले में हिरासत में लिया गया था।

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Web Title: Freedom of the individual important, bail application should be heard soon: Supreme Court

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