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महिला वकील से मारपीट मामले में बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पर 40 हजार रुपये का जुर्माना लगा

By भाषा | Updated: November 30, 2021 20:13 IST

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नयी दिल्ली, 30 नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को 1994 में एक महिला वकील से मारपीट के मामले में कुल 40,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

अदालत ने आदेश अदालत कक्ष में सैकड़ों वकीलों की मौजूदगी में सुनाया।

फैसला सुनने के लिए जहां कुछ वकील मेज और कुर्सियों के ऊपर खड़े हो गए, वहीं अन्य ने "वकील एकता जिंदाबाद" और "राजीव खोसला जिंदाबाद" के नारे लगाए तथा आदेश के बाद खुशी व्यक्त की।

खोसला को इस मामले में पिछले महीने भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दंडनीय अपराधों में दोषी ठहराया गया था। शिकायतकर्ता सुजाता कोहली ने आरोप लगाया था कि अगस्त 1994 में खोसला ने उन्हें उनके बाल पकड़कर घसीटा था।

इन धाराओं के तहत दो साल तक की कैद का प्रावधान है।

कोहली उस समय तीस हजारी अदालत में वकील थीं। बाद में, वह दिल्ली की एक अदालत में न्यायाधीश बनीं और पिछले साल वह जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुई थीं।

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गजेंद्र सिंह नागर ने आदेश में कहा, “भादंसं की धारा 323 के लिए, खोसला को एक महीने के भीतर राज्य और पीड़िता को 20,000 रुपये – प्रत्येक को दस-दस हजार रुपये का मुआवजा देना होगा तथा 506 भादंसं के लिए, उन्हें राज्य और पीड़िता को 20 हजार रुपये – प्रत्येक को दस-दस हजार रुपये का भुगतान करना होगा।”

आदेश सुनाए जाने से पहले, वकीलों ने नारेबाजी की और कहा कि न्यायाधीश "दबाव में" काम कर रहे हैं। पुलिसकर्मी भी सुरक्षा के लिए अदालत कक्ष के बाहर खड़े थे।

खोसला का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील बीरेंद्र सांगवा ने अदालत से कहा, “यह अदालत हर तरह से शिकायतकर्ता का पक्ष ले रही थी। न्यायाधीश बनने के बाद उन्होंने अपने पद का अनुचित लाभ उठाया।”

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुईं कोहली ने कहा कि फैसले के बाद खोसला ने अदालत और न्यायाधीश के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया।

उन्होंने कहा, “उन्हें (खोसला) भीड़ के साथ अदालत में प्रवेश करने की अनुमति क्यों दी जा रही है? वह यहां सैकड़ों वकीलों के साथ हैं। दोषी बार-बार यह दर्शाता है कि उसके मन में कानून के शासन का कोई सम्मान नहीं है। वह अदालत को गाली देना पसंद करता है।’’

अधिवक्ता सांगवा ने इसका खंडन करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल ने न तो अदालत में असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया और न ही धमकी दी तथा न ही गवाहों को प्रभावित किया।

अदालत ने मामले में खोसला को 29 अक्टूबर को दोषी ठहराया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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