पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना में हिंसक झड़प और सीमा पर तनाव के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि भारतीय जवानों की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए।
मनमोहन सिंह ने साथ ही कहा है कि शहीद कर्नल संतोश बाबू और अन्य जवानों की शहादत को पूरा न्याय मिले, ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री को अपने बयान से चीन के षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देने को भी कहा। मनमोहन सिंह ने कहा कि पीएम को अपने शब्दों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।
मनमोहन सिंह ने लिखा है, 'हम सरकार को आगाह करेंगे कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति तथा मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता। पिछलग्गू सहयोगियों द्वारा प्रचारित झूठ के आडंबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता।'
मनमोहन सिंह ने साथ ही लिखा, 'हम प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वक्त की चुनौतियों का सामना करें और कर्नल बी. संतोष बाबू औ हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इससे कुछ भी कम जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।'
'षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं दें पीएम'
मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि उन्हें बयानों से चीन के षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए। मनमोहन सिंह ने लिखा, 'चीन ने अप्रैल 2020 से अनेक बार घुसपैठ की कोशिश की है। हम न उनकी धमकियों और दबाव के आगे झुकेंगे और न ही भूभागीय अखंडता से समझौता स्वीकार करेंगे।'
मनमोहन सिंह ने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार से भी अंग इस खतरे का सामना करने और स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें।'
मनमोहन सिंह ने साथ ही लिखा, 'हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के निर्णय और सरकार की ओर से उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़िया हमारा आंकलन कैसे करेंगी। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और ऐलानों से देश की सुरक्षा और सामरिक व भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति हमेशा बेहद सावधान रहना चाहिए।'
बता दें कि पिछले हफ्ते 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद से तनाव बढ़ा हुआ है। चीन के भी 40 से ज्यादा जवानों के हताहत होने की खबरें आई थीं लेकिन उसकी ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। साल 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव था। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे।