नई दिल्लीः महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद सुष्मिता देव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता त्याग कर तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सुष्मिता देव को त्रिपुरा और असम की जिम्मेदारी दिए जाने के संकेत हैं।
तृणमूल कांग्रेस से मिली खबरों के अनुसार ममता बनर्जी सुष्मिता को राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रहीं हैं, ताकि सुष्मिता की मदद से असम और त्रिपुरा में टीएमसी का ज़मीनी आधार मज़बूत हो सके। चूँकि त्रिपुरा और असम में बांग्ला भाषी बड़ी संख्या में है। अतः ममता को भरोसा है कि सुष्मिता के टीएमसी में आने से दोनों राज्यों में पार्टी मज़बूत हो सकेगी।
इधर कांग्रेस में सुष्मिता के पार्टी छोड़ने से असंतुष्ट कांग्रेसियों को नेतृत्व पर हमला करने का नया मौंका हाथ लग गया है। कपिल सिब्बल ने सवाल उठाते हुये मंथन करने की बात कही, तो मनीष तिवारी ने ट्वीट कर सुष्मिता से पूछा कि वह कांग्रेस छोड़ने के कारणों का खुलासा करें।
कांग्रेस के अंदर यह सवाल इसलिए उठा क्योंकि सुष्मिता राहुल गांधी के काफी निकट थीं। राहुल के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद सुष्मिता दूसरी नेता हैं। हालांकि प्रियंका चतुर्वेदी भी कांग्रेस छोड़ कर शिवसेना में जा चुकी हैं, लेकिन उनकी निकटता राहुल से अधिक प्रियंका गांधी के साथ थी।
सुष्मिता के कांग्रेस छोड़ने का प्रमुख कारण सीएए और एनआरसी का मुद्दा है, जिसका कांग्रेस खुला विरोध कर रही है, परन्तु सुष्मिता की स्थानीय राजनीति में यह विरोध फिट नहीं बैठ रहा था, नतीजा उनको नज़र आने लगा कि वह कांग्रेस की टिकिट पर चुनाव नहीं जीत पायेंगी। अपने राजनीतिक भविष्य को बचाये रखने के लिये सुष्मिता ने टीएमसी जाने का फैसला किया। सुष्मिता ने साफ़ किया कि कांग्रेस और गांधी परिवार से उनको न तो कोई शिकायत है न नाराज़गी।