'ऑपरेशन मेघदूत' की अगुवाई कर पाकिस्तान को धूल चटाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का निधन
By स्वाति सिंह | Updated: January 7, 2020 09:20 IST2020-01-07T09:20:44+5:302020-01-07T09:20:44+5:30
पीएन हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी सियाचिन पर तिरंगा फहराया था। पीएन हून का जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था, लेकिन बंटवारे के वक्त उनका परिवार भारत आ गया था।

लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर 3:30 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 25 के श्मशानघाट में होगा।
भारतीय सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का सोमवार शाम चंडीगढ़ में निधन हो गया। 91 साल के हून लंबे समय से काफी बीमार चल रहे थे। हालांकि, डॉक्टरों उनके निधन की वजह हैमरेज बताई जा रही है। लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर 3:30 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 25 के श्मशानघाट में होगा।
बता दें कि पीएन हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी सियाचिन पर तिरंगा फहराया था। पीएन हून का जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था, लेकिन बंटवारे के वक्त उनका परिवार भारत आ गया था। वे 1987 में पश्चिमी कमांड के चीफ के रूप में रिटायर हुए थे। इसके बाद साल 2013 में वे बीजेपी में शामिल हो गए।
क्या है 'ऑपरेशन मेघदूत'
वो अप्रैल 1984 का दिन था जब भारत को अपनी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) से मालूम चला की पाकिस्तान सेना सियाचिन ग्लेशियर में कब्जे के लिए चढ़ाई करेगी। ये खबर मिलते ही भारतीय सेना हरकत में आई। इसके बाद भारतीय सेना ने सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत लॉन्च किया। बता दें कि इस दौरान बर्फिलें जगह में पहने जाने वाले कपड़े और सेना की जरूरतों के अन्य सामान एक रात पहुंचे थे। दुनिया के सबसे ऊंचे मैदान-ए-जंग में सीधे टकराव की यह एक तरह से पहली घटना थी। इसे ऑपरेशन मेघदूत नाम दिया गया और इसने भारत की सामरिक रणनीतिक जीत की नींव रखी।
बता दें कि सियाचिन की पर भारत की तरफ से बिलकुल खड़ी चढ़ाई है और जिसकी वजह से ऑपरेशन मेघदूत को काफी मुश्किल माना गया था। जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान की और से ये काफी कम ऊंचाई पर है। बावजूद इसके भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को मात दिया। इसका नाम ऑपरेशन मेघदूत इसलिए दिया गया क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये अपनी तरह का एक अलग ही युद्ध था। इसमें भारतीय सैनिकों ने माइनस 60 से माइनस 70 डिग्री के तापमान में सबसे ऊंची पहाड़ियों पर जाकर फतह हासिल की थी।