पटनाः बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोई गिला-शिकवा नहीं है.
उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोलते हुए कहा कि खराब से खराब नेता भी अच्छे से अच्छे अफसर से 100 गुणा अच्छा होता है. पांडेय ने कहा कि 'मेरे जैसे बढ़िया से बढ़िया कोई अधिकारी, ब्यूरोक्रेट हो, वो भी, आप जिसे सबसे खराब नेता मानते हैं उससे अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा कि आप जिसे सबसे खराब नेता मानते हैं, जो किसी से मिलता-जुलता नहीं, किसी की नहीं सुनता, वो भी ब्यूरोक्रेट से सौ गुना अच्छा है.
इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेट गलत-सही जो भी नाजायज काम करता है, वो अपने लाभ के लिए, अपना गणित, नफा-नुकसान देखकर करता है. वहीं यदि कोई राजनीतिक व्यक्ति जिसे आप कुछ गलत करते हुए देखते हैं, वो सौ गलत में से 99 गलत तो अपने लोगों के लिए करता है. एक राजनेता का दिल बहुत बड़ा होता है.
ठीक है अच्छे और बुरे लोग हर जगह हैं लेकिन राजनीति करना कठिन काम है. पांडेय ने कहा कि उन्होंने अभी तक जदयू की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है, लेकिन राजनीतिक सक्रियता जरूर कम कर दिया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हमारे अभिभावक हैं और बिहार को सबसे सुयोग्य मुख्यमंत्री मिला हुआ है.
पांडेय ने कहा कि राजनीति में रहने के लिए साम, दाम, दण्ड और भेद सबकुछ आना चाहिए, लेकिन मुझे यह सब नहीं आता है. उन्होंने कहा कि मुझे इस तरह का संस्कार नहीं मिला, इसलिए मैं राजनीति में फैल हो गया. यहां बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले डीजीपी पद से वीआरएस लेकर जदयू की सदस्यता ग्रहण किया था.
पांडेय के जदयू में शामिल होने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वे बक्सर के किसी सीट से विधायकी लड़ सकते हैं. हालांकि उन्हें टिकट नहीं मिला. 1987 बैच के आईपीएस अफसर रहे गुप्तेश्वर पांडेय 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के डीजीपी पद पर थे. लेकिन उन्होंने नौकरी से वीआरएस ले लिया.
पांडेय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस के बाद खासे चर्चा में आए थे. पांडेय को बिहार में रॉबिन हुड भी कहा जाता है. पूर्व डीजीपी आजकल कथावाचक की भी भूमिका में नजर आते हैं. अपने इस नए अवतार को उनका कहना है कि एक समय ऐसा आता है, जब आप जीवन के उद्देश्य को जानना चाहते हैं और ईश्वर को जानना चाहते हैं. मैं कोई अपवाद नहीं हूं.
मेरी दिलचस्पी अब भगवान में है और यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ है. जदयू की सदस्यता लेने के बाद धार्मिक सत्संग में मन रमा रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने यहां तक कहा कि मेरे अंदर सफल राजनेता बनने की क्षमता नहीं है. मैं बन सकता तो अब तक बन गया होता. उन्होंने कहा ऐसा डीजीपी खोजकर निकालिए जो विधायक का चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से छह महीने पहले इस्तीफा दे. असल में मैं कमजोर वर्ग के साथ खडे होने के लिए विधायक बनना चाहता था.