विदेशी दूतों ने जम्मू में पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों के सदस्यों से मुलाकात की

By भाषा | Updated: February 18, 2021 21:12 IST2021-02-18T21:12:43+5:302021-02-18T21:12:43+5:30

Foreign envoys met members of panchayats, urban local bodies in Jammu | विदेशी दूतों ने जम्मू में पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों के सदस्यों से मुलाकात की

विदेशी दूतों ने जम्मू में पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों के सदस्यों से मुलाकात की

जम्मू, 18 फरवरी केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के दौरे पर आये कई देशों के दूतों ने यहां बृहस्पतिवार को पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों के सदस्यों सहित कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। उन्होंने हाल ही में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों के दौरान की स्थिति की भी जानकारी प्राप्त की।

अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त किये जाने के बाद केंद्रशासित प्रदेश का यह पहला चुनाव था।

अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी और वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों ने चुनाव से जुड़े अपने अनुभव विदेशी दूतों के साथ साझा किये।

गौरतलब है कि ये दोनों समुदाय पिछले सात दशक से मताधिकार से वंचित थे और उन्होंने डीडीसी चुनावों में पहली बार वोट डाला।

जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए विदेशी दूतों (राजनयिकों) में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के भी राजनयिक शामिल हैं। वे अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे चरण में बृहस्पतिवार को जम्मू पहुंचे। बुधवार को उन्होंने कश्मीर का दौरा किया था।

जम्मू नगर निगम के मेयर चंद्र मोहन गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने उनहें त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था और संविधान के 74 वें संशोधन की जानकारी दी। अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द किये जाने के कारण ही 28 साल बाद 74 वें संशोधन, 1993 का जम्मू कश्मीर में क्रियान्वयन संभव हो सका। ’’

बैठक में एक प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व कर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता गुप्ता ने कहा, ‘‘पूर्ववर्ती राज्य की पिछली सरकारें सिर्फ संसद और विधानसभा चुनावों में ही रूचि लिया करती थीं।’’

पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी समुदाय के प्रतिनिधि सुखदेव सिंह मनहास ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें बताया कि हम पिछले 73 साल से संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 के चलते वोट देने से वंचित थे। पांच अगस्त 2019 के बाद के घटनाक्रम ने हमें अधिकार प्रदान किये और अब हम वोट दे सकते हैं, चुनाव लड़ सकते हैं और सरकारी नौकरी पा सकते हैं तथा जमीन खरीद सकते हैं। ’’

वाल्मीकि समुदाय के प्रतिनिधि आकाश कुमार और वनिष्का ने मनहास की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि उन्होंने विदेशी दूतों को बताया कि अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने से पहला फायदा यह हुआ कि डीडीसी चुनाव में पहली बार उनका समुदाय भाग ले सका।

राजौरी से डीडीसी सदस्य मोहम्मद इकबाल मलिक ने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म किये जाने के बाद क्षेत्र के वंचित तबकों के लोगों को समान राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त हुए। ’’

जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए राजनयिक यूरोपीय संघ, फ्रांस, मलेशिया, ब्राजील, इटली, फिनलैंड, बांग्लादेश, क्यूबा, चिली, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, स्पेन, स्वीडन, सेनेगल, ताजिकिस्तान, किर्गिजिस्तान, आयरलैंड, घाना, एस्टोनिया, बोलीविया, मलावी, इरीट्रिया और आइवरी कोस्ट से हैं।

केंद्र सरकार द्वारा पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों--जम्मू कश्मीर और लद्दाख-- में विभाजित कर दिये जाने के बाद से पिछले 18 महीनों में विदेशी राजनयिकों की यह तीसरी यात्रा है।

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Web Title: Foreign envoys met members of panchayats, urban local bodies in Jammu

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