कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के बाद पहली बार आतंकवादियों की संख्या 200 से कम हुई: अधिकारी

By भाषा | Updated: December 30, 2021 17:41 IST2021-12-30T17:41:39+5:302021-12-30T17:41:39+5:30

For the first time since the start of militancy in Kashmir, the number of terrorists has dropped below 200: Officials | कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के बाद पहली बार आतंकवादियों की संख्या 200 से कम हुई: अधिकारी

कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के बाद पहली बार आतंकवादियों की संख्या 200 से कम हुई: अधिकारी

श्रीनगर, 30 दिसंबर कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के बाद से घाटी में पहली बार सक्रिय आतंकवादियों की कुल संख्या गिरकर 200 से कम रह गई है और आतंकी संगठनों द्वारा युवाओं की भर्ती किये जाने पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के काजीगुंड इलाके में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), कश्मीर, विजय कुमार और सेना की 15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने कहा कि घाटी में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है।

लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा, ''इस साल किए गए अधिकांश ऑपरेशन इंटेलीजेंस पर आधारित थे।''

उन्होंने कहा कि घाटी में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या घटकर 180 रह गई है। कुमार ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि आतंकवाद शुरू होने के बाद से पहली बार पूरे कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की कुल संख्या 200 से नीचे आ गई है।

उन्होंने कहा, ''यह भी पहली बार हुआ है कि स्थानीय आतंकवादियों की संख्या 100 से नीचे पहुंच गई है और यह 85 या 86 है।

कुमार ने कहा कि इस साल अब तक 128 युवा आतंकी गुटों में शामिल हो चुके हैं, जिनमें से 73 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए हैं और 16 को गिरफ्तार किया गया है।

लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि पिछले दो वर्षों की तुलना में, 2021 में आतंकी संगठनों द्वारा युवाओं की भर्ती में कमी आई है।

उन्होंने कहा, ''पिछले साल, यह संख्या 180 से अधिक थी। यह दर्शाता है कि नागरिक समाज में जागरुकता आई है। लोगों ने हिंसा की निरर्थकता को महसूस किया है। वे समझते हैं कि (सीमा पर) क्या हो रहा है।''

उन्होंने कहा, ''हमें इसे सकारात्मक रूप से देखना चाहिए। नागरिक आबादी आतंकवादियों को खत्म करने में हमारी मदद कर रही है और हिंसा के चक्र को तोड़ने में भी हमारा मनोबल बढ़ा रही है। मुझे यकीन है कि हम अगले एक या दो साल में अधिक शांति देखेंगे और आतंकवाद की राह पकड़ने वाले युवाओं की संख्या में कमी आएगी।''

जीओसी ने कहा कि 20-21 वर्ष से अधिक आयु के लोग आतंकवादी संगठनों की योजनाओं के शिकार नहीं हो रहे हैं और इसलिये, इन संगठनों ने 15-16 वर्ष की आयु के लड़कों की भर्ती शुरू कर दी है।

उन्होंने कहा, ''साथ ही दूसरा चलन भी देखने को मिल रहा है कि उन्हें (युवाओं को) अब हथियार उठाने पर गर्व नहीं रह गया है, इसलिए वे अपना नाम नहीं बता रहे हैं। जो भी शामिल हो रहा है वह अपनी पहचान छुपा रहा है।''

उन्होंने कहा, ''हाल ही में विभिन्न कारणों से सुर्खियों में आए एक ऑपरेशन के दौरान यह बहुत स्पष्ट रूप से देखने को मिला था कि ओजीडब्ल्यू नेटवर्क से संबंधित परिवार के सभी सदस्य या स्थानीय आतंकवादी खुलकर सामने आए और बेगुनाह होने का दावा किया।''

लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने हैदरपोरा में हाल ही में हुई एक मुठभेड़ का जिक्र करते हुए कहा, ''आज, मुझे लगता है कि समाज ओजीडब्ल्यू (ओवरग्राउंड वर्कर्स) और आतंकवादियों को उनके घरों में या आसपास भी नहीं देखना चाहते।''

गौरतलब है कि हैदरपोरा मुठभेड़ में पीड़ितों ने दावा किया कि मारे गए लोग निर्दोष थे। मुठभेड़ों में मारे गए विदेशी आतंकवादियों की संख्या में वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर, जीओसी ने कहा कि स्थानीय आतंकवादी अब अभियान चलाने से पीछे हट रहे हैं।

उन्होंनेन कहा, ''यह एक और चुनौती है जिसका वे (आतंकवादी संगठन) सामना कर रहे हैं और इसलिए, पाकिस्तानी आतंकवादी अब ऑपरेशन का नेतृत्व करने के लिए सामने आ रहे हैं। जैसे ही वे ऑपरेशनों के अंजाम देने के लिये ऊंचाई वाले इलाकों से निकलते हैं, उन्हें घेरकर खत्म कर दिया जाता है।''

कुमार ने कहा कि विदेशी आतंकवादी गर्मियों के महीनों में पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर पहुंच गए थे, लेकिन जैसे ही सर्दी आई, वे मैदानी इलाकों में आने लगे।

उन्होंने कहा, ''इसलिए, लगभग हर मुठभेड़ में एक विदेशी आतंकवादी मारा जा रहा है, जो हमारे लिए अच्छा है।''

नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थिति के बारे में एक सवाल पर, लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि हालात बिल्कुल ठीक हैं और संघर्षविराम का पालन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ''लोग अपनी नियमित गतिविधियां कर रहे हैं, नियंत्रण रेखा के दोनों ओर लोग बहुत खुश हैं।

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