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चमोली की मंडल घाटी में आर्किड पार्क में बिखरी फूलों की छटा

By भाषा | Updated: January 29, 2021 16:34 IST

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गोपेश्वर, 29 जनवरी चिपको आंदोलन के लिए विख्यात उत्तराखंड के चमोली जिले की मंडल घाटी में बने आर्किड पार्क में हिमालय में पाए जाने वाले दुर्लभ आर्किड के सुंदर फूलों के खिलने से राज्य वन विभाग के आर्किड संरक्षण के प्रयासों के नतीजे बेहतर दिखाई दे रहे हैं।

आर्किड की स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण कार्यक्रम के तहत राज्य की वन अनुसंधान शाखा की ओर से चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 13 किलोमीटर की दूरी पर 1400 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मंडल घाटी के खल्ला गांव की वन पंचायत की लगभग बंजर हो चुकी जमीन पर तैयार पार्क में हिमालय के 25 से अधिक आर्किड की स्थानीय प्रजातियां यहां पनपने लगी है।

पार्क के निर्माण और अनुसंधान से जुडी वन अनुसंधान शाखा के रेंज अधिकारी हरीश नेगी ने ‘भाषा’ को बताया कि आर्किड अनुसंधान हेतु पिछले वर्ष खल्ला गांव की वन पंचायत की एक हेक्टेयर वन भूमि का चयन कर पार्क निर्माण कार्य को शुरू किया गया था।

उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में एक साल के भीतर आर्किड की 25 प्रजातियां उगायी गई हैं जिनमें से कई पर एक बार फूल भी आ चुके हैं।

आर्किड, वनस्पतियों की ऐसी प्रजाति है जो फूलों के रंगों की विविधता, आकार और लंबे समय तक ताजा रहने के कारण हमेशा से पुष्प प्रेमियों की पहली पसन्द रही है।

परिस्थितिकीय तंत्र का महत्वपूर्ण अंग माने जाने वाले आर्किड विशेष जलवायु में ही पनपते हैं। दिखने में सुंदर होने के अलावा ये औषधीय एवं बागवानी के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उत्तराखण्ड में पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने वाले सीपीबी पर्यावरण एवं विकास केन्द्र के मुख्य संयोजक विनय सेमवाल ने कहा कि आर्किड के महत्व को देखते हुए इसके संरक्षण के लिए राज्य के वन अनुसंधान शाखा की ओर से की गई इस पहल के शुरूआती नतीजे बेहतर दिखायी दे रहे हैं।

उत्तराखण्ड वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में आर्किड की लगभग 238 प्रजातियां पायी जाती है। यहां गांवों के आसपास पेड़ों पर लटकने वाले आर्किड के पौधों के विविध उपयोग की परंपरा भी रही है। एक खास आर्किड के पौधे से यहां शादी की शुरूआती रस्म पूरी होती है।

प्रमुख पर्यावरणविद् मुरारीलाल ने बताया कि शादी में मंगलस्नान के लिए बाना का उपयोग किया जाता है जो आर्किड की वनस्पति से ही बनता है।

इसके अलावा, आर्किड की औषधीय पादप के रूप में भी पहचान है।

नेगी ने बताया कि सालम पंजा नामक आर्किड में औषधीय गुण पाए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में खासतौर पर पूर्वोत्तर में अरूणाचल और सिक्किम समेत कई राज्यों को आर्किड पौध के उत्पादक राज्य के रूप में जाना जाता है।

नेगी ने बताया कि मंडल घाटी में आर्किड की 67 से अधिक प्रजातियां की मौजूदगी की जानकारी है जो राज्य में मौजूद आर्किड की प्रजातियों का करीब 30 फीसदी है। मंडल घाटी की आर्किड की पचास प्रजातयों को पौधशाला में भी तैयार किया जा चुका है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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