गांधीनगर, 12 सितंबर भारतीय जनता पार्टी के पहली बार के विधायक भूपेंद्र पटेल गुजरात के नये मुख्यमंत्री होंगे।
पटेल (59) को रविवार को यहां सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। भाजपा के सूत्रों ने कहा कि उन्हें सोमवार अपराह्न 2:20 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी।
शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले विजय रूपाणी ने आज विधायक दल की बैठक में पटेल को नेता चुनने के लिए प्रस्ताव रखा।
पटेल इससे पहले राज्य सरकार में मंत्री भी नहीं रहे, जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 साल पहले गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले कभी मंत्री नहीं रहे थे। मोदी को सात अक्टूबर, 2001 मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गयी थी और वह राजकोट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर 24 फरवरी, 2002 को विधायक चुने गये थे।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 112 विधायकों में से अधिकतर बैठक में उपस्थित थे।
बैठक के फौरन बाद पटेल ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ शाम में राजभवन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मुलाकात की और अगली सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए पत्र सौंपा जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया।
सूत्रों ने बताया कि सोमवार के शपथ ग्रहण समारोह में केवल पटेल शपथ लेंगे और बाकी मंत्रियों को बाद में शपथ दिलाई जाएगी।
एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री के लिए जिन नामों की अटकलें चल रही थी, उनमें कहीं भी एक बार के विधायक भूपेंद्र पटेल का नाम नहीं था।
पटेल को मृदुभाषी कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने नगरपालिका स्तर के नेता से लेकर प्रदेश की राजनीति में शीर्ष पद तक का सफर तय किया है।
पटेल 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की घाटलोडिया सीट से पहली बार चुनाव लड़े थे और जीते थे। उन्होंने कांग्रेस के शशिकांत पटेल को एक लाख से अधिक वोटों से हराया था, जो उस चुनाव में जीत का सबसे बड़ा अंतर था।
सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले पटेल पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं। आनंदीबेन 2012 में इसी सीट से चुनाव जीती थीं।
अपने समर्थकों के बीच ‘दादा’ के नाम से पुकारे जाने वाले पटेल को गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री तथा उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है। वह जिस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, वो गांधीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा है, जहां से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सांसद हैं।
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पटेल ने संवाददाताओं से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और शाह के आभारी हैं जिन्होंने उन पर इतना भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, सी आर पाटिल तथा अन्य नेताओं समेत गुजरात के नेतृत्व ने उन पर जो विश्वास जताया है उसके लिए भी वह आभारी हैं।
पटेल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का आशीर्वाद सदा उनके साथ है। उन्होंने कहा कि रूपाणी की सरकार ने बहुत अच्छा काम किया, जिससे विकास अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सका। पटेल ने कहा, ‘‘हम नए सिरे से योजना बनाएंगे और संगठन में चर्चा करेंगे, जिससे विकास कार्य को आगे ले जाया जा सके।’’
गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सी आर पाटिल ने कहा कि जमीनी स्तर पर पटेल का कामकाज, सहकारिता क्षेत्र पर उनकी पकड़, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव और प्रशासनिक क्षमताएं जैसे गुणों के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी दी गयी है।
भाजपा विधायक दल की बैठक में पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद जोशी तथा पार्टी महासचिव तरुण चुग उपस्थित थे।
केंद्रीय गृह मंत्री शाह और भाजपा अध्यक्ष नड्डा समेत वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने भूपेंद्र पटेल को बधाई दी। शाह ने भरोसा जताया कि मोदी के दिशानिर्देश में और पटेल के नेतृत्व में राज्य की विकास यात्रा को नयी ऊर्जा और गति मिलेगी।
शाह ने उम्मीद जताई कि गुजरात सुशासन और जन-कल्याण के कार्यों में अग्रणी राज्य बना रहेगा। नड्डा ने पटेल से फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी।
भूपेंद्र पटेल प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आते हैं, वहीं अपने समर्थकों में ‘भाई’ के नाम से लोकप्रिय रूपाणी (65) जैन समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने राज्य में विधानसभा चुनाव होने से लगभग सवा साल पहले शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिये चुनाव अगले साल दिसंबर में होने हैं।
कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में पद छोड़ने वाले रूपाणी चौथे मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने दिसंबर 2017 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
रूपाणी पहली बार सात अगस्त, 2016 को मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद यह पद संभाला था। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद दूसरी बार राज्य की बागडोर संभाली थी।
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