बवाना पटाखा कारखाने में आग की घटना: पीड़ितों के लिए 34 लाख रुपये जमा करने का निर्देश

By भाषा | Updated: November 1, 2021 16:37 IST2021-11-01T16:37:01+5:302021-11-01T16:37:01+5:30

Fire incident in Bawana cracker factory: Instructions to deposit Rs 34 lakh for the victims | बवाना पटाखा कारखाने में आग की घटना: पीड़ितों के लिए 34 लाख रुपये जमा करने का निर्देश

बवाना पटाखा कारखाने में आग की घटना: पीड़ितों के लिए 34 लाख रुपये जमा करने का निर्देश

नयी दिल्ली, एक नवम्बर दिल्ली उच्च न्यायालय ने पटाखों के निर्माण में लगे एक कारखाना मालिक को निर्देश दिया है कि वह यहां बवाना में 2018 में प्रतिष्ठान में आग लगने की घटना में जान गंवाने वाले 17 व्यक्तियों के परिवारों के मुआवजे के रूप में प्राधिकारियों के पास 34 लाख रुपये जमा करे।

अदालत ने कहा कि यह राशि यहां उत्तर पूर्व जिले के कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के आयुक्त के पास जमा की जाए और यह नवंबर और जनवरी तक दो किस्तों में की जाए।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि इन दो जमा के अधीन, कारखाने के मालिक द्वारा इस याचिका को दायर करने में देरी को माफ कर दिया जाएगा और कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं करने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा तथा आयुक्त द्वारा पीड़ितों के प्रत्येक कानूनी उत्तराधिकारियों को दो लाख रुपये जारी किए जाएंगे।

अदालत ने कहा, ‘‘राशि जमा करने और जारी करने का निर्देश पीड़ितों के परिवारों को कुछ सहायता प्रदान करने के लिए दिया जा रहा है, जिन्होंने कमाने वाले सदस्यों को खो दिया है। पीड़ितों में एक 13 साल की किशोरी भी शामिल थी। उपरोक्त जमा राशि वर्तमान याचिका में आगे के आदेशों के अधीन होगी।’’

याचिकाकर्ता मनोज जैन द्वारा बवाना में संचालित पटाखा बनाने वाले कारखाने में 20 जनवरी 2018 को आग लगने की घटना हुई थी।

आग ने भयंकर रूप ले लिया था जिसमें 17 श्रमिकों की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे। भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

जैन ने कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत आयुक्त द्वारा उन्हें जारी जनवरी 2018 के नोटिस को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उसके तहत जैन को कारखाने में काम के दौरान मरने वाले कर्मचारियों के कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजे की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

अपील दायर करने में विलंब के लिए माफी के वास्ते अर्जी के अनुसार देरी का कारण वकील को बताया गया, जिसके बारे में कहा गया कि उसने याचिकाकर्ता को सलाह दी थी कि प्राथमिकी के संबंध में आपराधिक मुकदमा अधिक महत्वपूर्ण है और कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत कार्यवाही दीवानी है।

सुनवायी के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को सूचित किया कि आपराधिक मुकदमे के दौरान जैन के बेटे ने मामले में 34 लाख रुपये की राशि जमा की थी जिसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

जैन के बेटे को गिरफ्तार किया गया था और निचली अदालत ने 34 लाख रुपये जमा करने की शर्त पर उसे जमानत दी थी।

दिल्ली सरकार के वकील और कुछ पीड़ितों द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि पटाखों के निर्माण में लगी याचिकाकर्ता की तीन फैक्ट्रियों में आग लगने की तीसरी घटना हुई है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में और चूंकि याचिकाकर्ता के अनुसार वर्तमान मामले में देरी 1100 दिनों से अधिक है और दिल्ली सरकार के वकील के अनुसार लगभग 2000 दिन, तो ऐसे में अंतरिम आदेश जारी रखने और अर्जी दायर करने में देरी की क्षमा के लिए कुछ शर्तें लगाई जा सकती हैं।

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा राशि जमा नहीं की जाती है तो अर्जी दायर करने में देरी की माफी मांगने वाला आवेदन स्वतः ही खारिज हो जाएगा और इसका स्पष्ट परिणाम यह होगा कि रिट याचिका बिना किसी और आदेश के खारिज हो जाएगी।

इसने आयुक्त को अगली सुनवाई की तारीख यानी अगले साल 10 फरवरी से पहले निर्देशों से संबंधित स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

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Web Title: Fire incident in Bawana cracker factory: Instructions to deposit Rs 34 lakh for the victims

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