ढहायी गयी मस्जिद की प्रबंध समिति के पदाधिकारियों समेत आठ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

By भाषा | Updated: May 21, 2021 15:40 IST2021-05-21T15:40:00+5:302021-05-21T15:40:00+5:30

FIR lodged against eight including officials of the managing committee of demolished mosque | ढहायी गयी मस्जिद की प्रबंध समिति के पदाधिकारियों समेत आठ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

ढहायी गयी मस्जिद की प्रबंध समिति के पदाधिकारियों समेत आठ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश), 21 मई जिले के रामसनेहीघाट क्षेत्र में प्रशासन द्वारा हाल में ‘अवैध निर्माण बताकर’ ढहायी गयी एक मस्जिद की प्रबंध समिति के सात पदाधिकारियों और वक्फ बोर्ड के तत्कालीन निरीक्षक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया है।

यह प्राथमिकी जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सोन कुमार की तहरीर पर बृहस्पतिवार शाम दर्ज की गई।

पुलिस सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने रामसनेहीघाट कोतवाली में एक तहरीर देते हुए आरोप लगाया कि तहसील प्रांगण में स्थित 'अवैध निर्माण' को फर्जी कागजात के आधार पर कुछ ही दिनों में वक्फ संपत्ति घोषित कर आठ लोगों को उसकी प्रबंध समिति का पदाधिकारी बना दिया गया।

पुलिस ने इस तहरीर पर मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मुश्ताक अली, उपाध्यक्ष वकील अहमद, सचिव मोहम्मद अनीस, सदस्य मोहम्मद मुस्तकीम, दस्तगीर और अफजाल तथा वक्फ बोर्ड के तत्कालीन निरीक्षक मोहम्मद ताहा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

इसके बाद से जिला प्रशासन ने अन्य संपत्तियों पर वक्फ के नाम पर कथित रूप से किए गए अवैध कब्जों की भी जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि रामसनेहीघाट तहसील के सुमेरगंज कस्बे में उप जिलाधिकारी आवास के ठीक सामने स्थित एक पुरानी मस्जिद को स्थानीय प्रशासन ने गत 17 मई की शाम को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच ध्वस्त करा दिया था। जिला प्रशासन इसे मस्जिद मानने से ही इंकार कर रहा है। हालांकि इलाकाई लोगों का दावा है कि यह मस्जिद 100 साल पुरानी है और इसमें शुरू से ही पांचों वक्त की नमाज पढ़ी जा रही थी।

मस्जिद ढहाए जाने के बाद जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने मस्जिद को 'अवैध आवासीय परिसर' करार देते हुए कहा था कि इस मामले में संबंधित पक्षकारों को पिछली 15 मार्च को नोटिस भेजकर स्वामित्व के संबंध में सुनवाई का मौका दिया गया था लेकिन परिसर में रह रहे लोग नोटिस मिलने के बाद फरार हो गए, जिसके बाद तहसील प्रशासन ने 18 मार्च को परिसर पर कब्जा हासिल कर लिया।

उन्होंने दावा किया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इस मामले में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे गत दो अप्रैल को निस्तारित कर दिया था। इससे यह साबित हुआ कि वह निर्माण अवैध है। इस आधार पर रामसनेहीघाट उप जिलाधिकारी की अदालत में न्यायिक प्रक्रिया के तहत मुकदमा दायर किया गया और अदालत द्वारा पारित आदेश पर 17 मई को ध्वस्तीकरण कर दिया गया।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस वारदात की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि जिला प्रशासन ने 100 साल पुरानी मस्जिद गरीब नवाज को असंवैधानिक तरीके से जमींदोज कर दिया। इस मामले के दोषी अधिकारियों को निलंबित कर मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराई जाए और मस्जिद का पुनर्निर्माण कराया कर उसे मुसलमानों के हवाले किया जाए।

उधर, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इसकी कड़ी निंदा करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की थी। बोर्ड ने यह भी कहा था कि वह उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद मस्जिद ढहाए जाने के असंवैधानिक कृत्य के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।

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Web Title: FIR lodged against eight including officials of the managing committee of demolished mosque

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