जुर्माने को खनिज के मूल्य तक सीमित नहीं रखा जा सकता: न्यायालय

By भाषा | Updated: November 11, 2021 21:52 IST2021-11-11T21:52:00+5:302021-11-11T21:52:00+5:30

Fines cannot be limited to the value of minerals: Court | जुर्माने को खनिज के मूल्य तक सीमित नहीं रखा जा सकता: न्यायालय

जुर्माने को खनिज के मूल्य तक सीमित नहीं रखा जा सकता: न्यायालय

नयी दिल्ली, 11 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अवैध रेत खनन में संलिप्त लोगों पर लगने वाले जुर्माने या हर्जाने को अवैध रूप से निकाले गये खनिज के मूल्य तक सीमित नहीं रखा जा सकता।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों के खिलाफ राजस्थान सरकार की याचिका पर एक फैसले में यह टिप्पणी की।

सीईसी ने जब्त की गयी बालू के प्रति वाहन के हिसाब से 10 लाख रुपये और प्रति घन मीटर के हिसाब से पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है जो राज्य की एजेंसियों द्वारा वसूले गये जुर्माने के अतिरिक्त होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अवैध रेत खनन में शामिल लोगों द्वारा दिये जाने वाले जुर्माने या हर्जाने को गैरकानूनी तरीके से निकाले गये खनिज के मूल्य तक सीमित नहीं रखा जा सकता। पर्यावरण बहाली और पारिस्थितिकीय सेवाओं की लागत को भी मुआवजे में शामिल किया जाना चाहिए।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि अंधाधुंध अवैज्ञानिक अवैध खनन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को दोहराने की जरूरत नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘लगातार अवैध खनन के नतीजतन रेत माफिया पैदा हुए हैं जो संगठित आपराधिक गतिविधियों के रूप में अवैध खनन कर रहे हैं और गैरकानूनी तरीके से रेत के खनन का विरोध करने पर स्थानीय समुदायों के सदस्यों, प्रवर्तन अधिकारियों, संवाददाताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ जघन्य हमलों में शामिल रहे हैं।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि राजस्थान सरकार के आंकड़े समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं क्योंकि राज्य में 16 नवंबर, 2017 से 30 जनवरी, 2020 के बीच अवैध खनन के खिलाफ करीब 2,411 प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं।

पीठ ने कहा कि जब इस अदालत ने वैज्ञानिक अध्ययन पूरा होने और पर्यावरण तथा वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण मंजूरी जारी होने तक 82 खनन पट्टों के धारकों को रेत और बजरी के खनन को करने से रोका है तो राजस्थान राज्य को खातेदारों के पक्ष में खनन पट्टे जारी नहीं करने चाहिए।

पीठ ने कहा कि सीईसी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अधिकतर खातेदारी पट्टे नदी की तलहटी से 100 मीटर के दायरे में हैं।

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