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भारत में प्राणघातक कोविड-19 महामारी की लहर के बावजूद मास्क पहनने वाले कम : सर्वेक्षण

By भाषा | Updated: June 23, 2021 20:56 IST

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नयी दिल्ली, 23 जून कोविड-19 की प्राणघातक लहर से बुरी तरह से प्रभावित रहने के बावजूद भारत में मास्क पहने के नियम का अनुपालन करने वालों की संख्या कम है। एक सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है।

ऑनलाइन सोशल मीडिया मंच ‘लोकल सर्किल’ के सर्वेक्षण के मुताबिक टीकाकरण केंद्रों पर भी मास्क पहनने के नियम का बहुत कम अनुपालन किया जा रहा है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘‘दुनिया के किसी देश के मुकाबले भारत में बेहद घातक रही कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बावजूद सर्वेक्षण में शामिल 67 प्रतिशत प्रतिभागियों ने माना कि उनके क्षेत्र, जिले या शहर में लोग मास्क का सीमित या बिल्कुल इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।’’

इस सर्वेक्षण में देश के 312 जिलों के करीब 33 हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण के मुताबिक केवल 32 प्रतिशत प्रतिभागियों ने माना किया हाल में जब वे टीककरण केंद्र पर गए तो सीमित संख्या में मास्क के नियम का अनुपालन किया जा रहा था।

सर्वेक्षण में शामिल कई प्रतिभागियों ने बताया कि उनके परिवार के सदस्यों को केंद्र पर टीकाकरण कराने के कुछ दिनों के बाद कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ जो दिखाता है कि कुछ टीकाकरण केंद्रों पर सुपरस्प्रेडर (अधिक संख्या में संक्रमित करने वाला) की आशंका है जहां पर लोग मास्क पहनने के नियम का अनुपालन नहीं करते।

सर्वेक्षण में कहा गया कि यह बड़ी चिंता है और तुरंत यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है कि ये टीकाकरण केंद्र सुपरस्प्रेडर न बन जाए।

सर्वेक्षण यह पता लगाने के लिए भी किया गया था कि लोग टीकाकरण केंद्रों सहित शहरों और जिलों में मास्क पहनने के नियम का किस तरह अनुपालन कर रहे हैं। इस दौरान यह भी पता लगाने की कोशिश की गई कि लोग संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहन रहे हैं या केवल नाम मात्र के लिए। साथ ही यह जानने की कोशिश की गई कि अगर राज्य सरकार संक्रमण वाले जिलों में घर से बाहर निकलने पर मास्क को अनिवार्य कर दे तो उनकी क्या राय होगी।

सर्वेक्षण के मुताबिक केवल 44 प्रतिशत भारतीय कपड़े का मास्क पहनते हैं जो संभवत अत्याधिक संक्रामक वायरस के प्रकार डेल्टा से सुरक्षा नहीं कर सके। वहीं, संक्रमण वाले जिलों में सरकार द्वारा घर से बाहर मास्क को अनिवार्य करने के संभावित फैसले का 91 प्रतिशत प्रतिभागियों ने समर्थन किया जबकि आठ प्रतिशत विरोध में रहे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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