फारुक ने कहा-जम्मू कश्मीर में ‘अविश्वास का स्तर’, उमर ने राज्य का दर्जा बहाल करने को कहा

By भाषा | Updated: June 26, 2021 17:14 IST2021-06-26T17:14:08+5:302021-06-26T17:14:08+5:30

Farooq says 'level of distrust' in J&K, Omar asks for restoration of statehood | फारुक ने कहा-जम्मू कश्मीर में ‘अविश्वास का स्तर’, उमर ने राज्य का दर्जा बहाल करने को कहा

फारुक ने कहा-जम्मू कश्मीर में ‘अविश्वास का स्तर’, उमर ने राज्य का दर्जा बहाल करने को कहा

श्रीनगर, 26 जून नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारुक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में ‘अविश्वास का स्तर’ बरकरार है और इसे खत्म करना केंद्र की जिम्मेदारी है। वहीं, फारुक के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव कराने के पहले जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की।

जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के बाद दिल्ली से लौटने पर पत्रकारों से बात करते हुए फारूक ने कहा कि वह बैठक पर कोई और बयान देने से पहले अपनी पार्टी के नेताओं और गुपकर गठबंधन (पीएजीडी) के घटक दलों के साथ चर्चा करेंगे।

उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से जनमत संग्रह का वादा किया था, लेकिन वह पलट गए। फारुक ने यह भी कहा कि 1996 के चुनाव से पहले तत्कालीन प्रधान मंत्री पी वी नरसिंह राव ने सदन के पटल से स्वायत्तता का वादा किया था। फारुक ने पूछा, ‘‘चुनाव से पहले नरसिंह राव जी ने हमें स्वायत्तता का वादा किया और कहा कि आकाश अनंत है, लेकिन स्वतंत्रता नहीं। हमने कहा कि हमने कभी आजादी नहीं मांगी, हमने स्वायत्तता मांगी है। उन्होंने हमसे सदन में वादा किया था। कहां गया वह वादा?’’ फारुक ने कहा, ‘‘अविश्वास का स्तर है...हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि वे (केंद्र) क्या करते हैं... क्या वे अविश्वास को दूर करेंगे या इसे जारी रहने देंगे।’’

पूर्व मुख्यमंत्री फारुक ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने भी चुनाव कराने के पहले जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की बैठक में सभी आमंत्रित व्यक्तियों ने अपने विचार रखे। फारुक ने कहा, ‘‘उनकी तरफ से यह पहला कदम था कि किसी तरह जम्मू-कश्मीर में स्थिति में सुधार हो और एक राजनीतिक प्रक्रिया फिर से शुरू हो।’’

श्रीनगर लोकसभा सीट से लोकसभा सदस्य ने उन चर्चाओं को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री के साथ 24 जून की बैठक गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के अंत का संकेत है। पीएजीडी मुख्यधारा के छह दलों का गठबंधन है। जम्मू कश्मीर को अगस्त 2019 में दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद यह गठबंधन हुआ था। फारुक ने कहा, ‘‘गठबंधन का अंत क्यों होगा?’’

इस बीच, उमर ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान केंद्र को यह स्पष्ट कर दिया गया कि विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। उमर ने कहा, ‘‘(गुलाम नबी) आजाद साहब ने हम सभी की ओर से कहा कि हम इस समय सीमा को स्वीकार नहीं करते हैं। हम परिसीमन, चुनाव, राज्य का दर्जा स्वीकार नहीं करते हैं। हम परिसीमन, राज्य का दर्जा और फिर चुनाव चाहते हैं। यदि आप चुनाव कराना चाहते हैं, तो आपको पहले राज्य का दर्जा बहाल करना होगा।’’

बैठक के बाद गुपकर गठबंधन के कमजोर होने की चर्चा को खारिज करते हुए उमर ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने वाले गठबंधन के सदस्यों ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो समूह की भावना से अलग हो। उन्होंने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि हम अगस्त 2019 के फैसलों को स्वीकार नहीं करते हैं और हम कानूनी, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से उनसे लड़ना जारी रखेंगे।’’

कुछ नेताओं द्वारा अनुच्छेद 370 की बहाली का मुद्दा न्यायाधीन होने के कारण इस बारे में बात करने से इनकार करने का उल्लेख करते हुए उमर ने कहा कि इससे मुद्दे पर चर्चा में अवरोध नहीं होना चाहिए। उमर ने कहा, ‘‘सबसे पहले, केवल दो लोगों आजाद और मुजफ्फर हुसैन बेग ने कहा कि मामला विचाराधीन है और वे दोनों पीएजीडी का हिस्सा नहीं हैं। मामला उच्चतम न्यायालय में है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस पर बात नहीं कर सकते। बाबरी मस्जिद का मामला उच्चतम न्यायालय में था लेकिन बीजेपी ने राम मंदिर का मुद्दा हमेशा उठाया।’’ उन्होंने कहा कि नेताओं को पार्टी स्तर पर सर्वदलीय बैठक में आमंत्रित किया गया था, न कि गठबंधन के प्रतिनिधि के रूप में।

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