चंडीगढ़ः पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने धान समेत अन्य खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में केंद्र सरकार के द्वारा की गयी वृद्धि के संबंध में सोमवार को कहा कि किसान खैरात नहीं बल्कि अपना हक चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना वायरस महामारी के कारण किसानों के समक्ष आ रही गंभीर चुनौतियों को देख पाने में पूरी तरह से विफल रही है।
उन्होंने केंद्र सरकार से निर्णय की तत्काल समीक्षा करने और विस्तृत पैकेज पेश करने का अनुरोध किया। सिंह ने एक बयान में कहा कि कर्ज के बोझ में दबा किसान समुदाय इस अप्रत्याशित संकट के समय में केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद कर रहा था, लेकिन बहुप्रतीक्षित राहत से वे एक बार फिर से वंचित रह गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर धान का एमएसपी 2,902 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने इसके बजाय धान का एमएसपी 53 रुपये बढ़ाकर महज 1,868 रुपये प्रति क्विंटल किया है। उन्होंने एमएसपी वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए कहा, ‘‘वे (किसान) जो चाहते हैं, वह खैरात नहीं बल्कि उनका हक है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार लगातार उनकी जायज मांगों और जरूरतों को नजरअंदाज कर रही है।’’
'बीज घोटाले' में किसानों को हुआ 4000 करोड़ का नुकसान
पंजाब में कथित तौर पर हुए बीज घोटाले के एक मामले में लुधियाना में एक व्यक्ति के गिरफ्तार होने के एक दिन बाद विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने सोमवार को दावा किया कि धान के नकली और अप्रमाणित बीज की आपूर्ति होने से किसानों को चार हजार करोड़ का घाटा हो सकता है। एसएडी नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने कथित तौर पर हुए घोटाले और उससे किसानों को हुए नुकसान के लिए मुआवजे की भी मांग की।
पंजाब पुलिस ने रविवार को लुधियाना स्थित एक दुकान के मालिक को नकली बीज बेचने के लिए गिरफ्तार किया था। सोमवार को यहां जारी एक वक्तव्य में मजीठिया ने कहा कि अगर धान के ‘पी आर 128’ और ‘पी आर 129’ बीजों को पंजाब के 15 प्रतिशत किसानों को बेचने का मामला देखा जाए तो घोटाले की राशि चार हजार करोड़ रुपये से अधिक होगी। एसएडी नेता ने कहा कि घोटाले के स्वरूप को देखते हुए पंजाब सरकार को तत्काल इसकी जांच सीबीआई या उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से करानी चाहिए।