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किसान आंदोलन: दिल्ली-जयपुर हाइवे जाम करेंगे किसान, फरीदाबाद-गुरुग्राम बॉर्डर पर 60 मजिस्ट्रेट तैनात

By स्वाति सिंह | Updated: December 12, 2020 07:35 IST

केन्द्र और किसानों के प्रतिनिधियों, विशेष रूप से प्रदर्शन में शामिल हरियाणा पंजाब के किसानों के नेताओं, के बीच कम से कम पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन गतिरोध अभी भी जारी है।

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ठळक मुद्देनए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन का शनिवार को सोलहवें दिन भी जारी है। हरियाणा में किसानों ने टोल प्लाजा को घेरने का आह्वान किया है।

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन का शनिवार को सोलहवें दिन भी जारी है। किसान संगठनों ने दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैफिक ठप करनी की चेतावनी दी है। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में किसानों ने टोल प्लाजा को घेरने का आह्वान किया है। जिसके बाद गुरुग्राम और फरीदाबाद में पुलिस अलर्ट है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

बहरहाल, एक तरफ किसानों की चेतावनी है तो दूसरी तरफ कानून वापस ना लेने की सरकार की धमक। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 12 दिसंबर को किसान दिल्ली-जयपुर हाइवे को ब्लॉक करेंगे। इस दौरान किसान जिला कलेक्टर, बीजेपी नेताओं के घरों के सामने प्रदर्शन करेंगे तो टोल प्लाज भी जाम करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि किसानों का रेल ट्रैक जाम करने का कोई प्लान नहीं है। राजस्थान के किसान भी आ रहे हैं।

सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से शुक्रवार को कहा कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें। साथ ही, कहा कि प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं लेकिन कुछ ‘असामाजिक, वामपंथी और माओवादी’ तत्व आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं। दरअसल, विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किए गए सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग करने वाली तख्तियां लिए टिकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें वायरल हुई थी।

इसी पृष्ठभूमि में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि ये ‘असामाजिक तत्व’ किसानों का वेश धारण कर उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उनके और उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है।

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को स्पष्ट रूप से कहा कि नये कृषि कानूनों को समाप्त किए जाने से कम पर कोई समझौता नहीं होगा और अगर सरकार बात करना चाहती है, तो पहले की तरह औपचारिक रूप से किसान नेताओं को सूचित करे। सरकार ने किसान संगठनों ने कहा है कि उनकी चिंताओं के निवारण के लिए सौंपे गए प्रस्ताव पर वे गौर करें और जरुरत होने पर वह आगे भी चर्चा के लिए तैयार है।

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