सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने तंबू उखाड़ने शुरू किए, कई घर के लिए रवाना हुए

By भाषा | Updated: December 10, 2021 20:44 IST2021-12-10T20:44:11+5:302021-12-10T20:44:11+5:30

Farmers started uprooting tents on Singhu border, many left for home | सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने तंबू उखाड़ने शुरू किए, कई घर के लिए रवाना हुए

सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने तंबू उखाड़ने शुरू किए, कई घर के लिए रवाना हुए

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर किसानों के प्रदर्शन स्थल में से एक सिंघू बॉर्डर का बड़ा हिस्सा शुक्रवार को खाली हो गया। बड़ी संख्या में किसान अपना सामान बांधकर ट्रैक्टरों पर घरों की ओर रवाना हो गए जबकि अन्य लोग अपने तंबुओं को उखाड़ने के काम में घंटों लगे रहे, जो उन्होंने प्रदर्शन शुरू होने पर पिछले साल लगाए थे।

रंगबिरंगी रोशनी से जगमग ट्रैक्टर प्रदर्शन स्थल से रवाना हुए और उनमें जीत का जश्न मनाने वाले गीत बज रहे थे। बुजुर्गों ने रंगबिरंगी पगड़ियां पहनी और युवाओं के साथ नाचे।

किसानों के इस प्रदर्शन स्थल पर शुक्रवार को सीढ़ी, तिरपाल, डंडे और रस्सियां ​​बिखरी पड़ी थीं क्योंकि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन खत्म होने के बाद किसानों ने अपने तंबू उखाड़ लिए, अपना सामान बांध कर उन्हें ट्रकों पर लादना शुरू कर दिया है।

किसान संघों की संस्था संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन खत्म करने की घोषणा की थी। केंद्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एक साल पहले उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।

सरकार द्वारा विवादास्पद कानूनों को वापस लेने के हफ्तों बाद किसान शनिवार की सुबह घर जाएंगे।

पंजाब के बरनाला के हरजोत सिंह ने कहा कि जिन लोगों के पास थोड़ा सामान था, वे बृहस्पतिवार शाम को घर के लिए रवाना हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ आज जा रहे हैं। जिन्होंने बड़े तंबू लगाए थे और जिनके पास ज्यादा सामान है, वे कल जाएंगे।’’

बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों के रवाना होने से भारी यातायात जाम लग गया। इसी तरह प्रदर्शन की शुरुआत में तब लंबा जाम लग गया था जब विभिन्न राज्यों से प्रदर्शनकारियों ने यहां के लिए कूच किया था।

युवा और बुजुर्गों ने पिछले एक साल में दिल्ली-करनाल सड़क के लंबे धूल भरे खंड पर बनाए गए मजबूत अस्थायी ढांचे को तोड़ने के लिए एक साथ मिलकर काम किया। जोश पैदा करने के लिए वे लगातार ‘बोले सो निहाल’ का नारा लगा रहे थे।

पंजाब के फरीदकोट के किसान जस्सा सिंह (69) ने कहा, ‘‘अधिक लोगों का मतलब है कि यह जल्दी खत्म हो जाएगा। हमारे पास उन्हें बनाने के लिए पर्याप्त समय था, लेकिन हम कल चले जाएंगे। इसलिए, जल्दी है... मैंने अपने जीवन में बहुत घी खाया है। मुझमें 30 वर्ष के व्यक्ति जितना जोश हैं।’’

पुरुषों ने कपड़े और गद्दे बांधे और उन्हें ट्रकों पर लादा, महिलाओं ने दोपहर का भोजन तैयार किया। पंजाब के जालंधर की 61 वर्षीय माई कौर ने कहा, ‘‘गैस स्टोव और बर्तन आखिर में पैक किए जाएंगे। हमें अभी रात का खाना और कल का नाश्ता बनाना है।’’

टूटे हुए ढांचे के चारों ओर कार्डबोर्ड, थर्मोकोल, लोहे के तार की जाली, पीवीसी शीट और मच्छरदानी बिछा दी गई है। युवाओं ने घर वापसी की तैयारी में ट्रैक्टरों का निरीक्षण किया, ट्रॉलियों की सफाई की। वे दोपहर का भोजन, चाय या नाश्ता करने के लिए रुकते हैं और फिर वापसी की तैयारी में लग जाते हैं।

कुछ किसानों ने अपना सामान आसपास के गांवों में जरूरतमंद लोगों को दान कर दिया है। पंजाब में होशियारपुर के 64 वर्षीय सुरजीत सिंह ने कहा, ‘‘हमारे पास बहुत सारे कपड़े और राशन है जो उनके काम आ सकता है। पहले भी हम पड़ोसी इलाकों के कई लोगों को खाना खिलाते थे।’’

अपने-अपने घर लौटने से पहले किसानों ने समूहों में तस्वीरें खिंचवाई और एक आखिरी बार साथ में नाचे। हालांकि, कई स्वयंसेवक शनिवार को नहीं जा रहे हैं।

यहां ‘जंगी किताब घर’ चलाने वाले जसवीर सिंह ने कहा, ‘‘हमने कुछ वक्त तक यहां रुकने का फैसला किया है ताकि उन किसानों की मदद की जा सकें जिन्हें अपने तंबुओं को उखाड़ने और सामान बांधने में मदद की जरूरत पड़ सकती है।’’

10 बिस्तरों वाला किसान मजदूर एकता अस्पताल चलाने वाले बख्शीश ने कहा कि वह सभी के जाने के बाद अपना सामान बांधना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘आपात चिकित्सा की स्थिति में किसी को तो यहां होना चाहिए।

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Web Title: Farmers started uprooting tents on Singhu border, many left for home

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