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'हम अपना खाना साथ लाए हैं', बैठक में किसानों ने ठुकराया सरकार का खाना, वीडियो हुआ वायरल

By स्वाति सिंह | Updated: December 3, 2020 17:38 IST

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले दिनों किसानों व कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अहम कानून बनाए हैं। इन कानूनों के बनते ही पंजाब व हरियाणा समेत देश के कई राज्यों के किसान अपनी मांग को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पिछले कई माह से प्रदर्शन कर रहे हैं।

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ठळक मुद्देपिछले सात दिनों से सड़क पर उतरे किसानों के प्रतिनिधिमंडल को आज केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए बुलाया हैदिल्ली के विज्ञान भवन में ये बातचीत दोपहर 12 बजे शुरू हुई

नयी दिल्ली: किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच चौथे दौर की वार्ता के लिए बृहस्पतिवार को तीन केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और पंजाब से सांसद एवं वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। सरकार ने बताया कि वार्ता दोपहर को आरंभ हुई और सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत जारी है।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की चिंताओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया था। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच एक दिसंबर को हुई बातचीत बेनतीजा रही थी। सरकार ने कानून निरस्त करने की मांग अस्वीकार कर दी थी और किसान संगठनों से कहा था कि वे हाल में लागू कानूनों संबंधी विशिष्ट मुद्दों को चिह्नित करें और बृहस्पतिवार को चर्चा के लिए दो दिसंबर तक उन्हें जमा करें।

सरकार का कहना है कि सितंबर में लागू किए गए ये कानून बिचौलियों की भूमिका समाप्त करके और किसान को देश में कहीं भी फसल बेचने की अनुमति देकर कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार करेंगे, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों को आशंका है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीदारी प्रणाली को समाप्त कर देंगे और मंडी प्रणाली को अप्रभावी बना देंगे। प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार को मांग की कि केंद्र संसद का विशेष सत्र बुलाकर नए कानूनों को रद्द करे। 

बुंदेलखंड किसान यूनियन ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो मौजूदा आंदोलन को और तेज किया जाएगा। बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों नए कृषि कानून किसान विरोधी हैं। इनसे किसानों का भला नहीं होगा, बल्कि उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’’ उन्होंने मांग की कि सरकार संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाकर तीनों विवादित कृषि कानून वापस ले और एक 'कृषि आयोग' का गठन करे, जिसमें सिर्फ कृषि वैज्ञानिक और किसान शामिल हों।

टॅग्स :किसान विरोध प्रदर्शन
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