Farmers protest: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली सीमा बिंदुओं पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। 378 दिन के बाद सिंघु बॉर्डर खाली हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादास्पद कानूनों को वापस लेने के अपनी सरकार के फैसले की घोषणा की थी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक लंबे किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की कि किसान 11 दिसंबर को घर वापस जाएंगे। किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को फिर से मिलेंगे।
किसान नेताओं ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को अपने-अपने स्थानों पर विजय मार्च निकालेंगे। मुख्य रूप से कानूनों को निरस्त कर दिया गया है, लेकिन वे अपनी फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
एसकेएम ने बुधवार को कहा था कि वह अपनी लंबित मांगों पर केंद्र के संशोधित मसौदा प्रस्ताव पर आम सहमति पर पहुंच गया है। किसान नेता और एसकेएम कोर कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "यह अंत नहीं है क्योंकि आंदोलन अभी रुका हुआ है। हमने 15 जनवरी को फिर से बैठक करने का फैसला किया है।"
किसान नेता और एसकेएम सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, "यह देखने के लिए कि क्या सरकार सभी मांगों को पूरा करती है, 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी। अगर वे नहीं करते हैं, तो हम विरोध फिर से शुरू करने पर कॉल कर सकते हैं।"
किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को यह देखने के लिए फिर बैठक करेंगे कि क्या सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है। आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के बाद यह घोषणा हुई है। पत्र में किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर एक समिति बनाने सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई। एसकेएम ने बुधवार को कहा था कि वह अपनी लंबित मांगों पर केंद्र के संशोधित मसौदा प्रस्ताव को लेकर आम सहमति पर पहुंच गया है।
किसान नेता और एसकेएम कोर कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह अंत नहीं है क्योंकि आंदोलन अभी स्थगित हुआ है। हमने 15 जनवरी को फिर से मिलने का फैसला किया है।’’ किसान नेता और एसकेएम के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘‘सरकार ने सभी मांगों को पूरा किया है या नहीं, यह देखने के लिए 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी।
अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम धरना फिर से शुरू करने पर फैसला ले सकते हैं।’’ किसान नेताओं ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को अपने-अपने स्थानों पर विजय मार्च निकालेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘किसान 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमा को खाली करना शुरू कर देंगे और इसमें कुछ समय लग सकता है।’’ मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। तीनों कृषि कानून वापस लिए जा चुके हैं।