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पंजाब के किसानों ने धान की एक किस्म का नाम रखा था ‘‘देवेगौड़ा’’ : पुस्तक

By भाषा | Updated: December 12, 2021 17:27 IST

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नयी दिल्ली, 12 दिसंबर पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने अक्सर किसानों के मुद्दों का समर्थन किया है और समुदाय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए पंजाब के किसानों ने उनके नाम पर धान की बेहतरीन किस्मों में से एक का नाम रखा। उन पर लिखी कई एक पुस्तक में यह बात कही गई है।

पत्रकार सुगाता श्रीनिवासराजू ने अपनी पुस्तक ‘‘फरोज इन अ फील्ड : द अनएक्सप्लोर्ड लाइफ ऑफ एच.डी. देवेगौड़ा’’ में लिखा, ‘‘गौड़ा को एक विधायक और सांसद के रूप में सदन की मर्यादा का कभी भी उल्लंघन नहीं करने के लिए जाना जाता है। लेकिन अपने लंबे करियर में केवल एक बार उन्होंने खुद पर लागू किये गए इस सिद्धांत का उल्लंघन किया, और यह तब था जब उन्हें किसानों की भलाई को को लेकर ‘खतरा’ महसूस हुआ था।’’

लोकसभा में 31 जुलाई और एक अगस्त, 1991 की घटनाओं का जिक्र करते हुए, पुस्तक में लिखा गया कि कैसे मनमोहन सिंह के पहले बजट पर एक तीखी चर्चा के दौरान, देवेगौड़ा, सरकार पर कृषि क्षेत्र में सब्सिडी समाप्त करने संबंधी फैसले को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए आसन के सामने पहुंच गये थे।

उन्होंने कहा था, ‘‘मैं एक किसान का बेटा हूं और इसकी अनुमति नहीं दूंगा। मैं धरने पर बैठूंगा। मैं इस सदन से बाहर नहीं जाऊंगा। मैं जो कर रहा हूं, यह प्रचार के लिए नहीं है।’’

पुस्तक में कहा गया है कि वर्ष 2002 में, जब पूरे भारत से बड़ी संख्या में किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही थीं, गौड़ा कर्नाटक के लगभग 2,000 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को ट्रेन से दिल्ली ले गए और उनकी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से बैठक कराई।

‘पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है, ‘‘यह अभूतपूर्व था, विशेष रूप से एक पूर्व प्रधानमंत्री के लिए इस तरह से विरोध करना। दिल्ली में लोग हतप्रभ थे।’’

श्रीनिवासराजू ने पुस्तक में लिखा, ‘‘किसानों के लिए गौड़ा की आजीवन प्रतिबद्धता, और किसान समुदाय के प्रति उनकी नीतिगत पहल और 1996-97 के शानदार किसान समर्थक बजट के लिए पंजाब के किसानों ने उस वक्त धान की बेहतरीन किस्मों में से एक को 'देवगौड़ा' के रूप में नामित किया, जब उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पद छोड़ा।

उन्होंने लिखा, ‘‘आमतौर पर अच्छी तरह से जानकारियों से अवगत रहने वाले गौड़ा खुद इस धान की किस्म के बारे में नहीं जानते थे। उन्हें इस बारे में तब पता चला जब कर्नाटक कैडर के पंजाब के आईएएस अधिकारी चिरंजीव सिंह ने 2014 में कन्नड़ अखबार के कॉलम में इसके बारे में लिखा।’’

पुस्तक में यह भी कहा गया है कि कैसे 1996 में, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने मुजफ्फरनगर में एक बैठक में देवेगौड़ा को ‘दक्षिण के चौधरी चरण सिंह’ के रूप में सम्मानित किया।

देवेगौड़ा सार्वजनिक जीवन में करीब सात दशक से हैं। उन्होंने होलेनारसीपुर तालुक विकास बोर्ड के सदस्य के रूप में शुरुआत की और 1996 में भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शीर्ष पद पर पहुंचे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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