किसान आंदोलन: मामला विचाराधीन होने पर विरोध की अनुमति है या नहीं न्यायालय इस पर विचार करेगा

By भाषा | Updated: October 4, 2021 19:04 IST2021-10-04T19:04:15+5:302021-10-04T19:04:15+5:30

Farmer's movement: Court will consider whether protest is allowed while the matter is pending | किसान आंदोलन: मामला विचाराधीन होने पर विरोध की अनुमति है या नहीं न्यायालय इस पर विचार करेगा

किसान आंदोलन: मामला विचाराधीन होने पर विरोध की अनुमति है या नहीं न्यायालय इस पर विचार करेगा

नयी दिल्ली, चार अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह इस विषय पर विचार करेगा कि क्या किसी कानून की वैधता को चुनौती देने वाले संगठनों या व्यक्तियों को उसी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति है जब मामला विचाराधीन हो।

तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पूछा कि वे किस लिए विरोध कर रहे हैं जब उसने इन कानूनों पर पहले ही रोक लगा दी थी। किसान संगठन ने दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ करने की अनुमति देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि कानूनों की वैधता को न्यायालय में चुनौती देने के बाद ऐसे विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप विरोध के लिए जाना चाहते हैं। किस बात पर विरोध है? फिलहाल कोई कानून नहीं है। इस पर इस न्यायालय ने रोक लगा रखी है।सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे, फिर किस बात का विरोध करना है।’’

पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा कि एक बार एक पक्ष ने कानून की वैधता को चुनौती देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है, तो विरोध के लिए जाने का सवाल ही कहां उठता है। वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘वे एक समय दो नावों की सवारी नहीं कर सकते।’’ अटॉर्नी जनरल ने रविवार की लखीमपुर खीरी घटना का जिक्र किया, जिसमें आठ लोग मारे गए थे। इस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ऐसी कोई घटना होने पर कोई इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता।

जब शीर्ष विधि अधिकारी ने तर्क दिया कि विरोध बंद होना चाहिए, तो पीठ ने कहा कि जब संपत्ति को नुकसान होता है और शारीरिक क्षति होती है तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है। वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इन तीन कानूनों को वापस नहीं लेने जा रही हैं और इसलिए याचिकाकर्ता के पास इन कानूनों को चुनौती देने का विकल्प है।

वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई मामला जब सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के समक्ष होता है, तो उसी मुद्दे को लेकर कोई भी सड़क पर नहीं उतर सकता।

शीर्ष अदालत कृषकों के संगठन ‘किसान महापंचायत’ और उसके अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता के वकील अजय चौधरी ने पीठ से कहा कि उन्होंने अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया है और उल्लेख किया है कि याचिकाकर्ता न तो उन प्रदर्शनकारियों का हिस्सा है, जिन्हें पुलिस ने किसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर रोका और न ही सड़कों पर रुकावट पैदा करने वाली किसी गतिविधि में शामिल हुए हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘संबंधित पक्षकारों के अधिवक्ताओं और अटार्नी जनरल को सुनने के बाद हम इस सैद्धांतिक मुद्दे पर विचार करना उचित समझते हैं कि क्या विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार निर्बाधित है और क्या संवैधानिक अदालत के समक्ष याचका दायर करने के कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करने के बाद याचिकाकर्ता को उसी विषय पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए या वह विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाने पर जोर दे सकता है जब यह पहले से ही न्यायालय के विचाराधीन हो।’’

पीठ ने कहा कि इन कानूनों की वैधानिकता को चुनौती वाली याचिकाकर्ता की राजस्थान उच्च न्यायालय में लंबित याचिका शीर्ष अदालत में स्थानांतरित की जाये ताकि इस मामले के साथ ही उस पर सुनवाई की जा सके।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वह राजस्थान उच्च न्यायालय से यह याचिका मंगाने के लिए तत्काल कदम उठाये और इसे पहले से लंबित याचिका के साथ ही सुनवाई की अगली तारीख पर स्थानांतरित मामले के रूप में पंजीकृत करे।’’

पीठ ने कहा कि दोनों ही याचिकाओं में प्रतिवादी अपने जवाब दाखिल कर सकते हैं और केन्द्र भी दोनां मामलों में एक समेकित जवाब दाखिल कर सकता है।

याचिका में संबंधित प्राधिकारों को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण एवं गैर-हिंसक ‘सत्याग्रह’ के आयोजन के लिए कम से कम 200 किसानों के लिए जगह उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया था।

पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की है। पीठ ने तीन कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर किसान संगठन की याचिका भी अपने यहां स्थानांतरित कर लिया।

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Web Title: Farmer's movement: Court will consider whether protest is allowed while the matter is pending

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