चंडीगढ़: देश की राजधानी दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन का आज 30 दिन पूरा हो गया है। तीन नए कृषि कानून को समाप्त करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसान आज से ठीक एक महीने पहले सिंघु बॉर्डर पर 26 नवंबर को जुटे थे। तब नवंबर की सर्दी इतनी नहीं चुभती थी, जितनी की आज 26 दिसंबर की सर्द हवा चुभती है। सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर में पिछले एक महीने में टेंट और ट्रैक्टर में किसानों की पूरी गृहस्थी बस गई है।
इस बीच खबर है कि आज एक बार फिर अलग-अलग किसान संगठनों के नेता आपस में बैठकर बातचीत करेंगे। इस बातचीत के बाद सभी किसान नेता आगे की रणनीति तैयार करेंगे। इस बैठक में सभी संगठनों के प्रमुख नेताओं के शामिल होने की खबर है।
इसके अलवा, बता दें कि पंजाब के लोगों के एक समूह ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को "नैतिक और भौतिक" समर्थन देने के लिए प्रवासी भारतीयों से भारत आने के आग्रह वाला एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है।
‘एनआरआई चलो दिल्ली’ नामक अभियान का आयोजन कर रहे माणिक गोयल और जोबन रंधावा ने कहा कि वे इसको लेकर एनआरआई के बीच जागरूकता बढ़ाना चाहते हैं और किसानों के मुद्दों के लिए उनके समर्थन को हासिल करना चाहते हैं।
आयोजकों ने शुक्रवार को कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए किसानों को "नैतिक और भौतिक" समर्थन देने के लिए एनआरआई के एक समूह ने 30 दिसंबर को भारत पहुंचने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, "एनआरआई के समूह का नेतृत्व सुरिंदर मावी (टोरंटो-पटियाला) और उनके दोस्त रमन बरार (टोरंटो-फरीदकोट), विक्रमजीत सरन (वैंकूवर-मनसा) कर रहे हैं, जो आंदोलनरत किसानों को नैतिक और भौतिक सहायता प्रदान के लिए भारत आ रहे हैं।’’ आयोजकों ने कहा कि किसान आंदोलन को विश्वभर से समर्थन मिला है।