बाजार में दरों के घटने से किसान एमएसपी से नीचे बिक्री करने को बाध्य हो रहे हैं: यूनियन नेता

By भाषा | Updated: December 30, 2020 16:52 IST2020-12-30T16:52:59+5:302020-12-30T16:52:59+5:30

Farmers are forced to sell below MSP due to lower rates in the market: union leader | बाजार में दरों के घटने से किसान एमएसपी से नीचे बिक्री करने को बाध्य हो रहे हैं: यूनियन नेता

बाजार में दरों के घटने से किसान एमएसपी से नीचे बिक्री करने को बाध्य हो रहे हैं: यूनियन नेता

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच किसान यूनियन के नेताओं ने बुधवार को कहा कि बाजार भाव में कमी आने की वजह से देश के कुछ हिस्सों में किसानों को धान सहित अपनी अन्य फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बेचने को मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर सहमत नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में नए कृषि कानून लागू होने के बाद, फसलों की कीमतों में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है। फसलें एमएसपी से कम दाम पर खरीदी जा रही हैं। धान 800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचा जा रहा है। हम बैठक में इन मुद्दों को उठाएंगे।’’

किसान समूहों और सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत के स्थल पर जाने से पहले टिकैत ने संवाददाताओं से कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों पर सहमत नहीं होती है तो किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होती, हम दिल्ली नहीं छोड़ेंगे। हम सीमाओं पर ही नया साल मनाएंगे।’’’

बैठक में शामिल होने आए पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा नए कानूनों के लागू होने के बाद गुना और होशंगाबाद में धोखाधड़ी के मामलों की मीडिया में आई खबरों की तख्तियां लाए थे।

सिरसा ने कहा, ‘‘हमारा कोई नया एजेंडा नहीं है। सरकार यह कहकर हमें बदनाम कर रही है कि किसान बातचीत के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। इसलिए हमने बातचीत के लिए 29 दिसंबर की तारीख दी। हमने उन्हें अपना स्पष्ट एजेंडा दे दिया है, लेकिन सरकार जोर दे रही है कि ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं।’’

मीडिया में आई खबरों को दिखाते हुए, उन्होंने कहा कि नए कानूनों के लागू होने के बाद धोखाधड़ी के अधिक मामले सामने आ रहे हैं और बैठक में इन मुद्दों को उठाया जाएगा।

तीन केंद्रीय मंत्रियों और 41 किसान समूहों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक दोपहर करीब 2.30 बजे विज्ञान भवन में शुरू हुई।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सरकार पक्ष की अगुवाई कर रहे हैं। उनके साथ रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी शामिल हैं, जो पंजाब से सांसद हैं।

दोनों पक्षों के बीच छठे दौर की वार्ता एक बड़े अंतराल के बाद हो रही है। पांचवें दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी।

प्रदर्शनकारी किसान यूनियनें अपनी स्थिति पर अड़ी हुई हैं कि चर्चा केवल तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर तरीकों को लेकर होगी तथा अन्य मुद्दों के अलावा एमएसपी के बारे में कानूनी गारंटी देने को लेकर होगी।

सोमवार को, केंद्र ने सितंबर में लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर लंबे समय से जारी गतिरोध का ‘खुले मन’ के साथ ‘तार्किक समाधान’ निकालने के लिए सभी प्रासंगिक मुद्दों पर 30 दिसंबर को वार्ता के अगले दौर के लिए किसान यूनियनों को आमंत्रित किया था।

लेकिन मंगलवार को सरकार को लिखे अपने पत्र में, किसान संघों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि तीन विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के लिए तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देना निश्चित रूप से एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए।

गृहमंत्री अमित शाह के साथ कुछ केन्द्रीय नेताओं की अनौपचारिक बैठक में गतिरोध टूटने का रास्ता नहीं निकलने के बाद किसान नेताओं के साथ नौ दिसंबर को होने वाली छठे दौर की वार्ता को स्थगित करना पड़ा था।

हालांकि, इस बैठक के बाद सरकार ने इन किसान यूनियनों को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा जिसमें सरकार ने नए कानूनों में 7-8 संशोधन और एमएसपी खरीद प्रणाली के बारे में लिखित आश्वासन देने का सुझाव दिया था। सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की संभावना को नकार दिया।

इन तीन नए कानूनों के खिलाफ मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान, एक महीने से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

सरकार ने इन कानूनों को किसानों की मदद करने और आय बढ़ाने वाले प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में प्रस्तुत कर रही है, लेकिन विरोध करने वाली किसान यूनियनों को डर है कि नए कानूनों ने एमएसपी और मंडी व्यवस्था को कमजोर करके उन्हें बड़े कॉर्पोरेटों की दया का मोहताज कर दिया है।

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