किसान आंदोलन: सरकार ने अगले दौर की वार्ता के लिए 40 संगठनों को 30 दिसंबर को बुलाया

By भाषा | Updated: December 28, 2020 19:57 IST2020-12-28T19:33:59+5:302020-12-28T19:57:42+5:30

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि 30 दिसंबर को सरकार और किसानों की मीटिंग में क्या होता है वह हम देखेंगे। कोई रास्ता निकला तो खुशी होगी, नहीं निकला तो हमें बैठना होगा और सोचना होगा।

Farmer Movement: The government summoned 40 farmers' organizations on December 30 for the next round of talks. | किसान आंदोलन: सरकार ने अगले दौर की वार्ता के लिए 40 संगठनों को 30 दिसंबर को बुलाया

तीन नये कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध का एक ‘‘तार्किक समाधान’’ निकालना है। (file photo)

Highlights प्रतिनिधियों और सरकार के बीच अगली बैठक 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में होगी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि हम सही रास्ते पर हैं, हमारी नीयत साफ है।किसानों के साथ बातचीत होनी चाहिए। किसान बातचीत करने के लिए आगे आए हैं।

नई दिल्लीः सरकार ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों पर अगले दौर की वार्ता के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है। सरकार द्वारा सोमवार को उठाए गये इस कदम का उद्देश्य तीन नये कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध का एक ‘‘तार्किक समाधान’’ निकालना है।

किसान संगठनों ने सितंबर में लागू किये गये नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीके सहित एजेंडे पर मंगलवार, 29 दिसंबर, को वार्ता करने का पिछले हफ्ते एक प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद सरकार ने उन्हें आमंत्रित किया है।

कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों को लिखे एक पत्र के जरिए उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में बुधवार, 30 दिसंबर, दोपहर दो बजे वार्ता करने का न्योता दिया है।

पिछली औपचारिक बैठक पांच दिसंबर को हुई थी, जिसमें किसान संगठनों के नेताओं ने तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर सरकार से ‘‘हां’’ या ‘‘ना’’ में स्पष्ट रूप से जवाब देने को कहा था।

वार्ता बहाल करने के लिए किसान संगठनों के प्रस्ताव पर संज्ञान लेते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार भी एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी प्रासंगिक मुद्दों का एक तार्किक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है। ’’

बैठक के लिए किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एजेंडे के बारे में सचिव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों, (फसलों की) एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) खरीद प्रणाली और विद्युत संशोधन विधेयक तथा दिल्ली/एनसीआर(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अध्यादेश पर विस्तृत चर्चा होगी।

हालांकि, सरकार के पत्र में किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एक प्रमुख शर्त का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें किसानों ने नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीकों पर वार्ता किये जाने की मांग की थी।

केंद्र और 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच अब तक हुई पांच दौर की औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है। पिछली वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी, जबकि छठे दौर की वार्ता मूल रूप से नौ दिसंबर को होने का कार्यक्रम था। लेकिन गृह मंत्री अमित शाह की किसान संगठनों के नेताओं के साथ एक अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता हाथ नहीं लगने के बाद यह (नौ दिसंबर की वार्ता) रद्द कर दी गई थी।

हालांकि, सरकार ने शाह की बैठक के बाद किसान संगठनों को एक मसौदा पत्र भेजा था, जिसमें उसने नये कानूनों में सात-आठ संशोधन और एमएसपी पर लिखित आश्वासन का सुझाव दिया था।

वहीं, किसान संगठनों ने 26 दिसंबर को सरकार को लिखे अपने पत्र में वार्ता बहाल करने के लिए 29 दिसंबर की तारीख दी थी। साथ ही, यह स्पष्ट कर दिया था कि तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर तरीकों और एमएसपी के लिए गारंटी सरकार के साथ वार्ता बहाल करने के एजेंडे का हिस्सा होने चाहिए।

उल्लेखनीय है कि सरकार एमएसपी पर किसानों से उनकी फसल की खरीद करती है।

सरकार ने अगले दौर की वार्ता के लिए उसी दिन की तारीख दी है, जिस दिन किसान संगठनों ने सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग तक ट्रैक्टर मार्च करने का फैसला किया है।

उल्लेखनीय है कि एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं। वे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इन किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं।

प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में आने वाले दिनों में अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी थी।

सरकार ने इन कानूनों को बड़े कृषि सुधार के तौर पर पेश किया है और इनका लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाना बताया है। लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को यह डर है कि ये नये कानून उन्हें एमएसपी प्रणाली और मंडी व्यवस्था को कमजोर कर उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया का मोहताज बना देंगे।

आंदोलनरत किसान संगठनों और केंद्र के बीच वार्ता अटकी रहने के बीच सरकार ऐसे कई अन्य किसान संगठनों के साथ बैठक कर रही है, जिन्होंने नये कानूनों का समर्थन किया है।

सरकार ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारी किसानों को विपक्षी दल अपने राजनीतिक फायदे के लिए गुमराह कर रहे हैं।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक कार्यक्रम में कहा कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के बीच ‘‘सुनियोजित तरीके से’’ ‘‘झूठ की दीवार’’ खड़ी की गई है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं चलेगा और प्रदर्शनकारी किसानों को जल्द सच्चाई का अहसास होगा।

मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गतिरोध का जल्द समाधान ढूंढ लिया जाएगा।

कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य को ध्यान में रखते हुए कृषि कानूनों के माध्यम से आंदोलनकारी बदलाव लाए हैं। मुझे विश्वास है कि इन कानूनों से देश भर के गरीब, छोटे और सीमांत किसानों को फायदा होगा।’’

प्रधानमंत्री ने 100वीं ‘किसान रेल’ को रवाना करते हुए कहा कि सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने और किसानों को मजबूत करने के लिए ऐतिहासिक सुधार किये हैं तथा सरकार पूरी ताकत और समर्पण के साथ ऐसा करना जारी रखेगी।

उन्होंने कहा कि किसान रेल उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई एक ऐसी सेवा है जो किसानों की उपज को दूर दराज के बाजारों तक आपूर्ति करने में छोटे और सीमांत किसानों की मदद करेगी। ऐसे किसान 80 प्रतिशत से अधिक हैं।

उन्होंने कहा कि यह किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी।

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